आपको आजकल सुपरमार्केट एवं पेट्रोल पंप से लेकर आम दुकानों और ऑनलाइन फैशन खुदरा विक्रेताओं तक, कहीं से भी सस्ता धूप चश्मा आसानी से मिल सकता है लेकिन इस बात को लेकर हमेशा संदेह रहता है कि क्या ये चश्मे आंखों को धूप से बचा सकते हैं या नहीं। इस प्रकार के चश्मों में लगे लेंस आमतौर पर यूवी (अल्वावॉयलेट) किरणों से पर्याप्त सुरक्षा मुहैया नहीं कराते और दिखने में स्पष्टता जैसे अन्य मामलों में भी उनकी गुणवत्ता निराशाजनक होती है। ‘ऑप्टिशियन’ (चश्मा बनाने वाला) को राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों का पालन करना होता है यानी चश्मा बनाते समय उनके लिए उच्च मानकों का पूरा करना अनिवार्य है। इसका अर्थ यह है कि पेशेवर ऑप्टिशियन ग्राहकों को अपने लिए ऐसा धूप चश्मा चुनने में बेहतर तरीके से मदद कर सकते हैं जो न केवल उनकी व्यावहारिक जरूरतों को पूरा करता हो, बल्कि आरामदायक भी हो और उनके चेहरे की बनावट के भी अनुकूल हो।
दृश्यता की गुणवत्ता
धूप का चश्मा पहनने से ऐसा महसूस हो सकता है कि आपको देखने में दिक्कत हो रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि लेंस प्रकाश को चुंिनदा रूप से छानते हैं : यह एक प्रकार के विकिरण को अंदर आने देता है और अन्य की पहुंच को सीमित कर देता है।
रंग मायने रखता है
हमें लेंस की गुणवत्ता पर ध्यान देने के साथ ही इसके रंग पर भी गौर करना चाहिए। चश्मे के लेंस का रंग धूप से मिलने वाली सुरक्षा को प्रभावित नहीं करता, लेकिन यह आंखों में लगने वाली चमक पर असर डालता है क्योंकि प्रत्येक रंग प्रकाश की एक अलग तरंगदैध्र्य (वेवलैंथ) को छानता है।
‘पोलेराइज्ड लेंस’
‘पोलेराइज्ड लेंस’ सड़क या पानी जैसी सतह से परावर्तित होने के बाद एक निश्चित कोण पर आंख तक पहुंचने वाली रोशनी को रोकते हैं, जिससे आंखों पर पड़ने वाली चमक कम हो जाती है। वे विशेष रूप से उस समय के लिए उपयुक्त हैं जब आप गाड़ी चला रहे हों या पानी के आसपास हों।
अन्य विशेषताएं
डिजाइन संबंधी विशेषताओं को हम धूप का चश्मा चुनते समय नजरअंदाज नहीं कर सकते। चश्मे को चुनते समय किसी भी प्रकार का संदेह होने पर सबसे अच्छी सलाह यह है कि आप अपने ‘ऑप्टिशियन’ या ‘ऑप्टोमेट्रिस्ट’ से बात करके धूप का वह चश्मा चुनें जो आपकी जरूरतों को पूरा करता हो।