
हजारीबाग में तीन हजार करोड़ के कथित एनटीपीसी मुआवजा घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम प्रारंभिक जांच कर रही है. इस पूरे मामले की जांच के लिए झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने वाले मंटू सोनी के अधिवक्ता अभिषेक कृष्ण गुप्ता के मुताबिक, इस मामले का आदेश अपलोड कर दिया गया है. आदेश में इस बात का जिक्र है कि ईडी इस मामले की प्रारंभिक जांच कर रहा है. आठ पन्नों के आदेश में हाईकोर्ट ने ईडी के अधिवक्ता अमित दास द्वारा मामले की जांच शुरू कर दिए जाने की जानकारी देने का जिक्र करते हुए कहा है कि इस मामले में सीबीआई से जांच कराने का कोई मतलब नहीं है. वहीं अदालत ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाकर जनहित याचिका दाखिल करने वाले मंटू सोनी को एक लाख रुपये का जुर्माना देना होगा. मंटू सोनी को एक महीने के अंदर जुर्माने की राशि जमा करनी होगी. इस मामले की सुनवाई के दौरान ईडी की तरफ से असिस्टेंट डायरेक्टर देवव्रत झा ने अपने हलफनामा में स्वीकार किया था कि एनटीपीसी के भूमि घोटाले की जांच के लिए देबाशीष गुप्ता (सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी) की अध्यक्षता में विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था. अन्य दो सदस्यों में एक सेवानिवृत्त जिला और सत्र न्यायाधीश और सेवानिवृत्त या वर्तमान संयुक्त सचिव शामिल थे, जिसे कभी भी सार्वजनिक नहीं किया गया है.
क्या है पूरा मामला

दरअसल वर्ष 2016 में हजारीबाग में भूमि मुआवजा से संबंधित गड़बड़ियों के सामने आने के बाद तत्कालीन डीसी मुकेश कुमार की अनुशंसा पर राज्य सरकार ने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एसआईटी टीम गठित की थी. एसआईटी की टीम ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट में 3000 करोड़ के भूमि मुआवजा घोटाला किए जाने और 300 करोड़ मुआवजा बांट दिए जाने की जानकारी दी थी. देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता वाली SIT की रिपोर्ट फिलहाल सार्वजनिक नहीं की गई है. जानकारी के मुताबिक, रिपोर्ट में कई रसूखदारों द्वारा सरकारी गैर मजरुआ खास व आम भूमि, सार्वजनिक उपयोग की जाने वाली जमीन, श्मशान घाट, स्कूल, मैदान आदि जमीनों का भी फर्जी कागजात बनाकर मुआवजे का बंदरबांट किये जाने की बात कही गयी है.
