
कांग्रेस ने अडानी समूह के बंदरगाह बिजनेस को लेकर आरोप लगाते हुए कहा है कि इससे देश के सरकारी बंदरगाहों को नुकसान हो रहा है। कांग्रेस का आरोप है कि पिछले 10 सालों में अडानी समूह के बंदरगाह कारोबार में अंधाधुन विस्तार हुआ है। कांग्रेस ने इसके लिए केंद्र सरकार से समूह के संबंधों को जिम्मेदार बताया है।
एक्स पर एक पोस्ट में कांग्रेस ने कहा, अडानी के बंदरगाहों की वजह से सरकारी बंदरगाहों को नुकसान हो रहा है। देश में अडानी के 14 बंदरगाह और टर्मिंनल हैं। अडानी के ये बंदरगाह पूरे देश की कुल माल ढुलाई का लगभग 24% हिस्सा कवर करते हैं, 2013 में यह हिस्सेदारी सिर्फ 9% थी। इसकी वजह से सरकारी बंदरगाहों से माल ढुलाई 4% घट गई। भारत के समुद्री तट के हर 500 किलोमीटर पर अडानी का एक बंदरगाह है। बंदरगाह में अडानी का यह अंधाधुंध विस्तार पिछले 10 साल में हुआ है। पीएम मोदी से दोस्ती का फायदा अडानी को ही मिला है। एक अन्य आरोप में कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार ने राज्यों के बिजली विभागों से कहा है कि जल्द से जल्द विदेशी कोयला खरीद लें। एक्स पर पोस्ट में कांग्रेस ने कहा, इस खत पर बिजली विभागों का कहना है कि हमारे पास पर्याप्त कोयला है। विदेशी कोयला महंगा होता है और उसे खरीदेंगे तो बिजली के दाम बढ़ जाएंगे। मोदी सरकार विदेशी कोयला खरीदने का दबाव क्यों डाल रही है? इसका जवाब सबको पता है।

जयराम ने कहा, इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा : कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बंदरगाह संचालन में अडाणी समूह की बढ़ती हिस्सेदारी से संबंधित एक खबर का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि यह न सिर्फ ‘मित्रवादी पूंजीवाद’ का एक सटीक मामला है, बल्कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा हो सकता है। जयराम ने कहा, पार्टी की 100 सवालों की श्रृंखला ‘हम अडाणी के हैं कौन’ के तहत उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछे थे कि कैसे अडाणी बिना किसी प्रतिस्पर्धी बोली में शामिल हुए भारत के सबसे बड़े बंदरगाह संचालक बन गए।
रमेश ने एक अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित खबर का हवाला देते हुए दावा किया कि ‘मोदी द्वारा निर्मित एकाधिकार’ के रणनीतिक प्रभाव के बारे में सरकार के उच्चतम स्तर पर बढ़ती चिंताओं को यह रिपोर्ट उजागर करती है। कांग्रेस नेता के अनुसार, पोत परिवहन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि इस प्रभुत्व के दुरुपयोग का वास्तविक खतरा है।
