न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने के लिए अध्यादेश लाने तथा अन्य मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसाननेताओं तथा केन्द्रीय मंत्रियों के बीच आज रविवार को चौथे दौर की वार्ता होनी है। यह बैठक ऐसे वक्त में होनी है जब हजारों किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पंजाब और हरियाणा की सीमा पर शंभू तथा खनौरी में डटे हुए हैं और उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में आने के लिए रोकने के लिए बड़ी तादाद में सुरक्षा बल तैनात हैं।
किसान नेताओं और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच बृहस्पतिवार रात करीब 8:45 बजे बैठक शुरू हुई और पांच घंटे तक जारी रही लेकिन इसमें दोनों पक्षों के बीच कोई सहमति नहीं बनी। इससे पहले आठ और 12 फरवरी को बातचीत हुई थी जो बेनतीजा रही। दोनों पक्षों के बीच अब चौथे दौर की वार्ता आज होगी। एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कृषकों के कल्याण के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन तथा कर्ज माफी, लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय , भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं।
किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने उम्मीद जताई है कि केंद्रीय मंत्रियों के साथ रविवार की बैठक के बाद किसानों को ‘‘अच्छी खबर’’ मिलेगी। उन्होंने कहा कि अब ‘‘गेंद सरकार के पाले में है।’’ उन्होंने शनिवार शाम को संवाददाताओं से कहा, ‘‘पूरा देश शक्तिशाली प्रधानमंत्री की ओर देख रहा है कि वह साहस जुटाएंगे और एमएसपी की कानूनी गारंटी एवं कर्ज माफी पर अध्यादेश के संबंध में निर्णय लेंगे।’’ पंधेर ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि कल की बैठक से हमें अच्छी खबर मिलेगी। हमने दिल्ली जाने के अपने कार्यक्रम की योजना वापस नहीं ली है।’’
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने भी कहा कि सरकार को ‘‘देश के लोगों को कुछ देने’’ के लिए एक अध्यादेश लाना चाहिए। डल्लेवाल पंधेर के साथ मिलकर किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं। डल्लेवाल ने कहा, ‘‘सरकार को इस इरादे से अध्यादेश लाना चाहिए कि यह तत्काल प्रभाव से लागू हो और छह महीने के भीतर इसे कानून में तब्दील किया जा सके और इसमें कोई समस्या नहीं है।