अधिक वजन होने से ‘एसएआरएस-सीओवी-2’ संक्रमण के प्रति शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया बाधित हो सकती है, लेकिन कोविड-19 टीकाकरण द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षा पर इसका असर नहीं होता। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। ‘क्लीनिकल एंड ट्रांसलेशनल इम्यूनोलॉजी’ जर्नल में प्रकाशित यह अध्ययन इस बात पर आधारित है कि कैसे कोविड-19 अधिक वजन वाले लोगों को प्रभावित करता है। ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विविद्यालय में पीएचडी उम्मीदवार मार्कस टोंग ने कहा, ‘‘हमने पहले यह दिखाया है कि ज्यादा वजन होना ‘एसएआरएस-सीओवी-2‘ के खतरे को बढ़ाता है।’टोंग ने कहा, ‘लेकिन इससे पता चलता है कि ज्यादा वजन होने से संक्रमण के प्रति कमजोर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है, लेकिन टीकाकरण के प्रति यह बेअसर रहती है।’
शोधकर्ताओं की एक टीम ने उन लोगों के रक्त के नमूने एकत्र किए जो कोविड-19 से उबर चुके थे और अध्ययन अवधि के दौरान संक्रमण के लगभग 13 महीने बाद तक दोबारा संक्रमित नहीं हुए थे। टोंग ने कहा, ‘संक्रमण के तीन महीने बाद, एक उच्च बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) कम एंटीबॉडी स्तर से जुड़ा था।’ उन्होंने कहा, ‘संक्रमण के 13 महीने बाद, एक उच्च बीएमआई, कम एंटीबॉडी गतिविधि और प्रासंगिक बी कोशिकाओं के प्रतिशत में कमी देखी गई थी। यह कोशिका कोविड-19 से लड़ने वाले एंटीबॉडी बनाने में मदद करती है।’ क्वीन्सलैंड विविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर किर्रस्टी शॉर्ट ने कहा कि परिणामों से स्वास्थ्य नीति में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा ‘‘अगर संक्रमण से अधिक वजन वाले लोगों में गंभीर बीमारी और कमजोर प्रतिक्रिया का खतरा बढ़ता है तो इस समूह को पुन: संक्रमित होने का खतरा भी अधिक है। यह देखते हुए इस समूह के लिए टीकाकरण आवश्यक हो जाता है।’