crossorigin="anonymous"> नहीं हुई गहलोत और पायलट गुट में सुलह - Sanchar Times

नहीं हुई गहलोत और पायलट गुट में सुलह

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राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के गुटों में नही हुई सुलह। यही वजह है कि पायलट गुट के नेता और कार्यकर्ता गहलोत के उम्मीदवारों का ठीक से प्रचार नहीं कर रहे हैं। गहलोत के अधिक टिकट हथिया लेने और पायलट के करीबियों के टिकट काटे जाने से अभी भी पायलट गुट में गुस्सा कायम है। पायलट गुट का गुस्सा शांत करने के लिए ही कांग्रेस बार-बार यह सफाई दे रही है कि मुख्यमंत्री का फैसला चुनाव बाद लिया जाएगा। हालांकि इससे पायलट गुट संतुष्ट नहीं है।

दरअसल वह जानते हैं कि अगर कांग्रेस जीती तो ज्यादा विधायक गहलोत गुट के चुनकर आएंगे और तब हाईकमान भी गहलोत को ही मुख्यमंत्री बनाने के लिए विवश हो जाएगा। पायलट गुट के नेता इस मामले में गहलोत गुट के नेता शांति धारीवाल को मिले टिकट का उदाहरण देते हैं। धारीवाल पर आरोप है कि उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर भी विधायक दल की बैठक नहीं होने दी थी। कांग्रेस की अनुशासन समिति ने उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की।
गहलोत के दबाव की वजह से अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे धारीवाल पर कार्रवाई तो दूर की बात उन्हें मंत्री पद से भी नहीं हटा सके। इसकी वजह से सोनिया, राहुल और खरगे तीनों की बड़ी किरकिरी हुई थी। दोनों बड़े नेताओं के मतभेद की वजह से राजस्थान के चुनाव में नुकसान न हो इसकी खातिर एक दिन पहले राहुल गांधी ने गहलोत और पायलट के साथ तस्वीर खिंचवाई थी। उन्होंने गहलोत और पायलट के लिए यह भी बोला था कि दोनों एक साथ नजर नहीं आ रहे, एक साथ हैं और रहेंगे।

कांग्रेस हाईकमान इस कोशिश में है कि चुनाव के बीच दोनों नेताओं के मतभेद सार्वजनिक रूप से नजर न आएं। दोनों वरिष्ठ नेताओं को राहुल गांधी और चुनाव के लिए वहां लगाए गए महासचिव मुकुल वासनिक ने एक-दूसरे के खिलाफ बयान नहीं देने के लिए समझाया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी सचिन पायलट से इस विषय में बात करते रहते हैं। राजस्थान में कांग्रेस के पदाधिकारी बता रहे हैं कि चुनाव के दौरान खिंचवाई गई गहलोत और पायलट की दोस्ती वाली तस्वीरों से दोनों गुटों में सुलह होने वाली नहीं है। उन्होंने कहा कि गहलोत गुट ने सरकार और संगठन पर कब्जा करके पायलट गुट को बहुत दबाया है इस बात को पायलट के समर्थक नहीं भूले हैं। पायलट गुट के नेताओं का कहना है कि उन्हें अपने नेता (पायलट) से सुलह के लिए कोई निर्देश भी नहीं मिले हैं।


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