
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोलकाता में जी-20 बैठक को वर्चुअल संबोधित करते हुए कहा कि भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलरेंस (policy of zero-tolerance) की नीति है. पीएम मोदी ने कहा कि हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई में संवैधानिक संस्थानों का सम्मान करना चाहिए. पीएम मोदी ने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर ने हमें लालच से दूर रहने के प्रति आगाह किया था क्योंकि यह हमें सच का एहसास नहीं होने देता.

पीएम मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार का सबसे ज्यादा असर गरीबों और हाशिए पर रहने वाले लोगों पर पड़ता है.उन्होंने कहा, “यह संसाधनों के उपयोग को प्रभावित करता है.अर्थशास्त्र में कौटिल्य का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि अपने लोगों के कल्याण को अधिकतम करने के लिए राज्य के संसाधनों को बढ़ाना सरकार का कर्तव्य है. उन्होंने कहा, “इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भ्रष्टाचार से लड़ने की जरूरत है और यह सरकार का अपने लोगों के प्रति पवित्र कर्तव्य है. उन्होंने आगे उल्लेख किया कि कल्याणकारी योजनाओं और सरकारी परियोजनाओं में लीकेज और कमियों को दूर किया जा रहा है.
भारत में सैकड़ों मिलियन लोगों को उनके बैंक खातों में 360 बिलियन डॉलर से अधिक की राशि का प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण प्राप्त हुआ है और 33 बिलियन डॉलर से अधिक की बचत करने में मदद मिली है. उन्होंने कहा, “हमारे सरकारी ई-मार्केटप्लेस या जीईएम पोर्टल ने सरकारी खरीद में अधिक पारदर्शिता लाई है. 2018 में आर्थिक अपराधी अधिनियम के अधिनियमन के बारे में बोलते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि सरकार आक्रामक रूप से आर्थिक अपराधियों का पीछा कर रही है और आर्थिक अपराधियों और भगोड़ों से 1.8 बिलियन डॉलर से अधिक की संपत्ति की वसूली के बारे में जानकारी दी. उन्होंने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के बारे में भी बात की, जिसने 2014 से अपराधियों की 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की संपत्ति कुर्क करने में मदद की है.
