हांगझोउ। लगभग 80,000 दर्शकों की क्षमता वाले बिग लोटस स्टेडियम में प्रकाश, ध्वनि और लेजर के 75 मिनट के कार्यक्रम के दौरान उत्सव का माहौल था। कार्यक्रम में इन खेलों में भाग लेने वाले 45 देशों के एथलीटों ने दो सप्ताह से अधिक समय तक प्रतिस्पर्धा करने के बाद विदाई ली।
समापन समारोह में खेल और संस्कृति के मिश्रण का उत्सव दिखा। एशियाई ओलंपिक परिषद (ओसीए) के कार्यवाहक प्रमुख रणधीर सिंह ने चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में एशियाई खेलों के 19वें सत्र के समापन की घोषणा की। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं 19वें हांग्झोउ एशियाई खेलों के समापन की घोषणा करता हूं और परंपरा के अनुसार एशिया के युवाओं से ओलंपिक परिषद के आदर्शों के अनुरूप 20वें एशियाई खेलों का जश्न मनाने के लिए तीन साल में आइची-नागोया (जापान) में इकट्ठा होने का आह्वान करता हूं।’’
रणधीर सिंह ने कहा, ‘‘एशिया के युवा भाईचारे की भावना और मानवता की भलाई के लिए एशियाई खेलों का जश्न मनाएं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ पिछले 16 दिनों में हमने इस शानदार शहर में कई अविस्मरणीय पल साझा किए हैं। अद्भुत और यादगार एशियाई खेलों के लिए ‘शे शे, हांग्झोउ (शुक्रिया हांगझोउ)’ कहने का समय आ गया है।’’
अब तक के सबसे बड़े एशियाई खेलों में की तालिका में एक बार फिर चीन का दबदबा रहा। चीन ने 201 स्वर्ण (111 रजत और 71 कांस्य के साथ) ने 2010 के गुआंझोउ खेलों में जुटाए गए 199 स्वर्ण पदक के आंकड़े को को पीछे छोड़ दिया। जापान (52 स्वर्ण, 67 रजत, 69 कांस्य) और दक्षिण कोरिया (42 स्वर्ण, 59 रजत, 89 कांस्य) दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे, जबकि भारत 107 पदकों (28 स्वर्ण, 38 रजत, 41 कांस्य) के रिकॉर्ड के साथ चौथे स्थान पर रहा।
ओसीए के कार्यवाहक महानिदेशक विनोद कुमार तिवारी के अनुसार इन खेलों के दौरान तेरह विश्व रिकॉर्ड, 26 एशियाई रिकॉर्ड और 97 खेलों के रिकॉर्ड तोड़े गए। स्टेडियम में 23 सितंबर को उद्घाटन समारोह की तुलना में कम उपस्थिति देखी गई लेकिन स्वंयसेवकों और एथलीटों ने इस कमी को पूरा किया। देशों के खिलाड़ियों और अधिकारियों के शामिल होने से पहले सभी देशों के ध्वजवाहक मैदान में पहुंचे।
पुरुष हॉकी टीम के गोलकीपर पीआर श्रीजेश भारतीय ध्वजवाहक थे। परेड में लगभग 100 भारतीय एथलीट और अधिकारी शामिल थे। ज्यादातर भारतीय खिलाड़ी अपनी स्पर्धा के समापन पर स्वदेश लौट गये है। आयोजकों ने कहा कि 45 देशों के 12,407 एथलीटों ने हांग्झोउ में 40 खेलों में भाग लिया। इन खेलों के आयोजन को कोविड-19 महामारी के कारण एक साल के लिए टाल दिया गया था।
समापन समारोह में 1951 में नयी दिल्ली में पहले एशियाई खेलों की मशाल और ध्वज के साथ-साथ ओसीए ध्वज को 2026 सत्र के मेजबान शहर जापान के आइची-नागोया के गवर्नर को सौंप दिया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए, उद्घाटन समारोह के दौरान नग्न आंखों के लिए 3डी दृश्य प्रभाव देने वाली विशाल अंडाकार आकार की एलईडी फ्लोर स्क्रीन का उपयोग नहीं किया गया था। इसके बजाय, एक ‘डिजिटल टर्फ’(एशियाई खेलों में इस्तेमाल किया जाने वाला अपनी तरह का पहला टर्फ) का इस्तेमाल किया गया। इसका बीच का हिस्सा बगीचे की तरह लग रहा था जबकि किनारे पर बड़े शब्दों में ‘एशिया’ लिखा था।
उद्घाटन समारोह में आभासी मशाल वाहकों के साथ ओलंपिक चैंपियन और 19वें एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता तैराक वांग शुन ने मुख्य खेलों की लौ जलाई थी। वह इन आभासी मशाल वाहकों स्वयंसेवकों और खिलाड़ियों के साथ लौ को बुझते हुए देखने के लिए मैदान पर मौजूद थे। इस समारोह का उद्देश्य पूरे खेलों के दौरान एथलीटों के रोमांचक और मर्मस्पर्शी क्षणों को प्रदर्शित करना था। इसके साथ ही हांग्झोउ के लाखों स्वयंसेवकों और नागरिकों के साथ-साथ हर उस व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करना था जिसने इन खेलों को संभव बनाया। इस समारोह ने लोगों से लोगों की बातचीत और ‘स्पोर्ट्स विदाउट बॉर्डर्स’ की भावना को उजागर करने का प्रयास किया।