झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय के समन के खिलाफ विचार करने से सोमवार को इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने सोरेन से अपनी याचिका संबंधित उच्च न्यायालय में ले जाने को कहा जिसके बाद झारखंड के मुख्यमंत्री ने अपनी याचिका वापस ले ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (15 सितंबर) को मामले की सुनवाई 18 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी थी। सोरेन ने उन्हें जारी किए गए समन को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की थी और आरोप लगाया था कि यह मामला केंद्र द्वारा कानून का स्पष्ट दुरुपयोग और उनकी लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने का प्रयास है।
केंद्रीय एजेंसी ने उन्हें 23 सितंबर को पेश होने के लिए कहा है। इससे पहले उन्हें ईडी ने भूमि घोटाला मामले में अगस्त के मध्य में तलब किया था। हालांकि, उन्होंने यह कहते हुए जांच छोड़ दी कि वह झारखंड में स्वतंत्रता दिवस समारोह की तैयारी में व्यस्त थे। सोरेन को फिर से 24 अगस्त और 9 सितंबर को पेश होने के लिए कहा गया था, हालांकि, वह जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में, सोरेन ने शीर्ष अदालत से धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की धारा 50 और धारा 63 को संविधान के दायरे से बाहर घोषित करने और उनके खिलाफ समन को अवैध घोषित करने के लिए उचित निर्देश जारी करने का आग्रह किया था।
ईडी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता सोरेन (48) से राज्य में कथित अवैध खनन से जुड़े धन शोधन मामले में पिछले साल 17 नवंबर को नौ घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी। केंद्रीय एजेंसी एक दर्जन से अधिक भूमि सौदों की जांच कर रही है, जिसमें रक्षा भूमि से संबंधित एक सौदा भी शामिल है, जिसमें माफिया, बिचौलियों और नौकरशाहों के एक समूह ने 1932 की तिथि तक के फर्जी दस्तावेज बनाने के लिए कथित तौर पर मिलीभगत की थी। ईडी ने झारखंड में अब तक कई लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें सोरेन के राजनीतिक सहयोगी पंकज मिश्रा भी शामिल हैं।