crossorigin="anonymous"> झारखंड में 'मैया सम्मान योजना' का प्रचार, स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर स्थिति उजागर - Sanchar Times

झारखंड में ‘मैया सम्मान योजना’ का प्रचार, स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर स्थिति उजागर

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रांची के सदर अस्पताल के बाहर गर्भवती गुलशन खातून की दर्दनाक स्थिति ने राज्य की लचर स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दी है


ST.News Desk : झारखंड में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार ‘मैया सम्मान योजना’ का जोर-शोर से प्रचार कर रही है। सोरेन इसे महिलाओं को सशक्त करने वाली योजना बताते हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि राज्य की गरीब, पिछड़ी और आदिवासी महिलाएं गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही हैं।

रांची के सदर अस्पताल के बाहर गर्भवती गुलशन खातून की दर्दनाक स्थिति ने राज्य की लचर स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दी है। गुलशन को अस्पताल में एडमिट नहीं किया गया और मजबूरन उसे सड़क पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा। जब उसने अस्पताल में चिकित्सा सहायता मांगी, तो ड्यूटी पर मौजूद महिला डॉक्टर ने उसे रिम्स रेफर किया, लेकिन एंबुलेंस की अनुपलब्धता के कारण वह वहीं रह गई।

यह घटना सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई, जहां लोगों ने सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं की विफलता की आलोचना की। एक यूजर ने लिखा, “बुनियादी सुविधाओं का अभाव दूर हो जाए तो झारखंडवासियों को मैया सम्मान योजना जैसी योजनाओं की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।”

सरकार ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए रांची डीसी को जांच टीम बनाने का आदेश दिया है। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि जब सरकार महिलाओं के खाते में पैसे भेजने का दावा करती है, तो उनके स्वास्थ्य के प्रति इतनी लापरवाही क्यों बरती जा रही है।

झारखंड के सरकारी अस्पतालों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। हाल ही में धनबाद के सरकारी अस्पताल में एक मरीज को आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की कमी के कारण वापस भेजना पड़ा। सरकारी अस्पतालों में स्टाफ की कमी और बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव आम बात हो गई है, जिससे मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल रहा है।

मुख्यमंत्री सोरेन ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का वादा किया था, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस बदलाव नहीं दिख रहा है। विपक्षी पार्टी भाजपा ने भी इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की है, यह कहते हुए कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

आने वाले विधानसभा चुनावों में यह देखना होगा कि क्या सरकार इन चुनौतियों का सामना कर पाती है या फिर जनता इसे नजरअंदाज कर देगी।


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