
ST.News Desk

झारखंड की उपराजधानी दुमका में साइबर अपराधियों के हौसले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पुलिस की तमाम कोशिशों के बावजूद अब पढ़े-लिखे और बुद्धिजीवी वर्ग के लोग भी ठगों के नए-नए पैंतरों का शिकार हो रहे हैं। ताजा मामला दुमका से सामने आया है, जहां साइबर ठगों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ का डर दिखाकर एक असिस्टेंट प्रोफेसर से 15 लाख रुपये की ठगी कर ली।
यह सनसनीखेज मामला दुमका के संथाल परगना महिला कॉलेज से जुड़ा है। कॉलेज के भौतिकी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अविनाश शरण को एक अनजान नंबर (8941821365) से कॉल आया। फोन करने वाले ने खुद को TRAI (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) का कर्मचारी बताया और कहा कि उनके आधार कार्ड से एक और सिम लिया गया है, जिसका इस्तेमाल गैर-कानूनी गतिविधियों में किया गया है। ठगों ने यह भी दावा किया कि मुंबई पुलिस ने उनके खिलाफ FIR दर्ज कर ली है।
इसके बाद ठगों ने खुद को सीबीआई और मुंबई पुलिस का अधिकारी बताकर प्रोफेसर को नरेश गोयल मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसा होने का डर दिखाया। वीडियो कॉल के जरिए उन्हें लगातार चार दिनों तक मानसिक दबाव में रखा गया। इस दौरान ठगों ने एक फर्जी ऑनलाइन कोर्ट लगाकर ‘डिजिटल अरेस्ट’ का नाटक भी किया।
ठगों ने प्रोफेसर को धमकाया कि यदि वे मुंबई नहीं आ सकते, तो अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए 15 लाख रुपये जमा करने होंगे, जो जांच के बाद वापस कर दिए जाएंगे। मानसिक दबाव और परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित प्रोफेसर ने अपनी जमा-पूंजी के 15 लाख रुपये ठगों द्वारा बताए गए ‘सुकन्या इन्वेस्टमेंट’ खाते में RTGS के जरिए ट्रांसफर कर दिए।
पैसे ट्रांसफर होते ही ठगों से संपर्क टूट गया। जब दोबारा कॉल किया गया तो दूसरी ओर से बांग्ला भाषा में बात होने लगी, तब जाकर उन्हें ठगी का एहसास हुआ। फिलहाल दुमका नगर थाना पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी है।
यह घटना आम लोगों के लिए एक बड़ी चेतावनी है। यदि आपके पास पुलिस, सीबीआई, TRAI या किसी अन्य सरकारी एजेंसी के नाम से धमकी भरा कॉल आए या ‘डिजिटल अरेस्ट’ की बात की जाए, तो घबराएं नहीं और तुरंत स्थानीय पुलिस को इसकी सूचना दें।

