
ST.News Desk, New Delhi : संसद के आगामी मानसून सत्र से ठीक पहले बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में केंद्र सरकार ने विपक्ष की प्रमुख मांगों को स्वीकार करते हुए स्पष्ट किया कि वह ऑपरेशन सिंदूर, सीमा संघर्ष, बिहार एसआईआर अनियमितता, पहलगाम आतंकी हमला और डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता वाले बयान जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है।

बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “हम संसद में ऑपरेशन सिंदूर जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार हैं। सदन को सुचारु रूप से चलाने के लिए सरकार और विपक्ष के बीच समन्वय होना चाहिए।” रिजिजू का यह बयान ऐसे समय आया है जब विपक्ष अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान को लेकर सरकार को घेरने की योजना बना रहा है, जिसमें ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश कर शत्रुता समाप्त करने की बात कही थी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए रिजिजू ने कहा कि सरकार सदन में इस मुद्दे पर उचित जवाब देगी।
विपक्ष की आक्रामक रणनीति
इस बार मानसून सत्र में विपक्ष ने कई संवेदनशील और राजनीतिक रूप से अहम मुद्दों को उठाने की तैयारी कर ली है, जिनमें शामिल हैं: बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया में कथित गड़बड़ियां, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ हालिया आतंकी हमला, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का भारत-पाक मध्यस्थता को लेकर बयान, ऑपरेशन सिंदूर और सीमा पर तनाव जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विषय।
विपक्ष की रणनीति इन विषयों पर सरकार से जवाबदेही मांगने और जनता के बीच अपनी बात मजबूत तरीके से रखने की होगी, जिससे सत्र के हंगामेदार रहने की संभावना जताई जा रही है।
सरकार की स्थिति : सरकार की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि वह एक सार्थक, रचनात्मक और बहस-आधारित सत्र के लिए तैयार है। सर्वदलीय बैठक का उद्देश्य भी इसी संवाद और समन्वय को बढ़ावा देना था ताकि सदन का कार्य संचालन बाधित न हो।
मानसून सत्र से पहले की यह सर्वदलीय बैठक सरकार और विपक्ष के बीच सहयोग और टकराव दोनों के संकेत दे रही है। जहां सरकार खुली चर्चा का आश्वासन दे रही है, वहीं विपक्ष ने भी कई मुद्दों पर सख्त तेवर दिखाने की तैयारी कर ली है। आने वाले दिनों में संसद में तीखी बहस और रणनीतिक मोड़ देखने को मिल सकते हैं।
