
आरोप है कि मामला अदालत में विचाराधीन होने के बावजूद पुलिस की मौजूदगी में जबरन कब्जा कराया गया
ST.News Desk

बरेली: उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। बरेली जिले की तहसील नवाबगंज में सरकारी जमीन पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर कब्जा कराने का मामला सामने आया है। आरोप है कि मामला अदालत में विचाराधीन होने के बावजूद पुलिस की मौजूदगी में जबरन कब्जा कराया गया, जबकि गांव वाले लगातार शासन-प्रशासन से गुहार लगाते रहे।
नवाबगंज तहसील के गांव बहोरनगला का मामला
मामला नवाबगंज तहसील के गांव बहोरनगला का है, जहां हाल ही में गांव को टाउन एरिया में शामिल किए जाने के बाद खाली पड़ी जमीनों पर कब्जे का खेल शुरू हो गया। ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के कुछ दबंगों ने साठगांठ कर खाली जमीनों की फर्जी घरौनी बनवा ली और नेताओं व पुलिस के संरक्षण में कब्जा कर लिया।
ग्रामीणों के अनुसार यह जमीन सैकड़ों साल पुराना तालाब है
विवाद तब सामने आया जब घाटा संख्या 681 और प्लॉट संख्या 291 पर पवन शर्मा और दीपक मिश्रा द्वारा कब्जे की कोशिश की गई। ग्रामीणों के अनुसार यह जमीन सैकड़ों साल पुराना तालाब है, जो राजस्व रिकॉर्ड में आबादी की जमीन के रूप में दर्ज है। तालाब के चारों ओर रहने वाले ग्रामीणों ने जब इसका विरोध किया तो उन्हें यह कहकर चुप कराने की कोशिश की गई कि कागज असली हैं या फर्जी, इसका फैसला अदालत करेगी।
ग्रामीणों का कहना है कि वे अदालत पहुंचे, जहां से समन भी जारी हो चुके हैं, लेकिन अदालत के अंतिम आदेश से पहले ही तालाब को पाटकर कब्जा कर लिया गया। आरोप है कि इस पूरी कार्रवाई में पुलिस ने कब्जा करने वालों का साथ दिया।
इतना ही नहीं, गांव वालों का दावा है कि पुलिस उल्टा उन्हीं को प्रताड़ित कर रही है, गाली-गलौज और मारपीट कर रही है और झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी दे रही है। ग्रामीण इस मामले की शिकायत सीएम पोर्टल पर भी कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
अब बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि योगी सरकार में जहां कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बताया जाता है, वहां बहोरनगला के इन ग्रामीणों की फरियाद आखिर कौन सुनेगा?

