नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिगों सहित बंधुआ मजदूरों की अंतर-राज्यीय तस्करी के मुद्दे को सुलझाने के लिए केंद्र को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ बैठक कर एक प्रस्ताव तैयार करने का बृहस्पतिवार को निर्देश दिया। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विनाथन की पीठ ने उत्तर प्रदेश में रिहा कराए गए 5,264 बंधुआ मजदूरों में से केवल 1,101 को तत्काल वित्तीय सहायता मिलने के आंकड़ों को ‘ंिचताजनक’ बताया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि समस्या बचाए गए बच्चों को तत्काल वित्तीय सहायता के वितरण में थी, क्योंकि कुछ मामलों में नाबालिगों को उनके गृह राज्यों से ले जाया गया और पड़ोसी राज्यों में बंधुआ मजदूरी करने के लिए मजबूर किया गया। पीठ ने कहा, ‘‘बच्चों की अंतर-राज्यीय तस्करी के मुद्दे को सुलझाने के लिए हमें लगता है कि केंद्र एवं सभी राज्यों को एकीकृत तरीके से इसे निपटाना चाहिए।’’ शीर्ष अदालत बंधुआ मजदूरों के रूप में तस्करी किए गए लोगों के मौलिक अधिकारों को लागू करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसलिए इसने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के सचिव को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अपने समकक्षों के साथ बैठक करने और इस सामाजिक बुराई से निपटने के लिए एक प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया। पीठ चाहती है कि बचाए गए बाल मजदूरों को तत्काल वित्तीय सहायता प्रदान करने की योजना की सहायता के लिए प्रस्ताव में एक सरल प्रक्रिया शामिल हो। न्यायालय ने कहा, ‘‘इस मामले के महत्व को ध्यान में रखते हुए हम पाते हैं कि अटॉर्नी जनरल की सहायता लेना उचित होगा। इसलिए, हम अटॉर्नी जनरल से इस मामले में हमारी सहायता करने का अनुरोध करते हैं। शीर्ष अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह इस प्रक्रिया को अंतिम रूप देते समय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को भी शामिल करे।
इस मामले की सुनवाई अब छह सप्ताह बाद होगी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील ने बचाए गए बंधुआ मजदूरों को तत्काल वित्तीय सहायता प्रदान करने का मुद्दा उठाया। पीठ ने उत्तर प्रदेश के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 4,100 से अधिक रिहा किए गए बंधुआ मजदूरों को वित्तीय सहायता नहीं मिली है। राज्य की ओर से पेश वकील ने कहा कि उन्होंने रिहा किए गए बंधुआ मजदूरों की संख्या और उन्हें किए गए भुगतान के साथ-साथ जिलावार डेटा संकलित किया है और वह इसे रिकॉर्ड में दर्ज कराएंगे।
जब उनसे पूछा गया कि राज्य सरकार बंधुआ मजदूरी को कैसे रोकती है, तो वकील ने कहा कि वह उत्तर प्रदेश में अपनाई जा रही प्रक्रिया को भी रिकॉर्ड पर लाएंगे। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि यह एक अंतर-राज्यीय मुद्दा है, क्योंकि ऐसे मामले हैं, जिनमें बिहार के लोगों को बंधुआ मजदूरी के लिए उत्तर प्रदेश ले जाया गया था। पीठ ने केंद्र की ओर पेश वकील से पूछा, ‘‘आप एक संघ के रूप में सभी राज्य सरकारों के साथ समन्वय क्यों नहीं करते?’’