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महाशिवरात्रि पर विवाहित जोड़ों के लिए व्रत और पूजा की विशेषताएँ

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ST.News Desk : महाशिवरात्रि, जो इस साल 26 फरवरी को मनाई जाएगी, भगवान शिव के भक्तों के लिए एक विशेष और महत्वपूर्ण त्योहार है। यह दिन भगवान शिव और देवी पार्वती के दिव्य विवाह का प्रतीक है, और हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है, खासकर विवाहित जोड़ों के लिए।

इस दिन का मुख्य उद्देश्य व्रत रखना और भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करना है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से जोड़ों के रिश्ते में सुख, समृद्धि और आशीर्वाद आता है। विवाहित जोड़े इस दिन अपने वैवाहिक जीवन में सद्भाव और प्रेम की वृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं।

महाशिवरात्रि पर शारीरिक अंतरंगता से बचने का परंपरागत नियम क्यों है, इसे समझना दिलचस्प है। व्रत का उद्देश्य आत्मा और शरीर को शुद्ध करना है। व्रत के दौरान लोग भोजन और पानी से दूर रहते हैं, जिससे उनका ध्यान और ऊर्जा पूरी तरह से आध्यात्मिकता और पूजा की ओर केंद्रित होती है। शारीरिक संबंध इस ध्यान और शुद्धता को भंग कर सकते हैं और व्रत के उद्देश्य से भटकने का कारण बन सकते हैं। इसलिए, व्रत के दौरान शारीरिक संबंधों से बचने की सलाह दी जाती है।

महाशिवरात्रि पर विवाहित जोड़े निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं:

साथ में पूजा करें: दंपत्तियों को एक साथ शिव मंदिर या घर पर पूजा करनी चाहिए। ‘ओम नमः शिवाय’ जैसे मंत्रों का जाप करके वे अपने वैवाहिक जीवन में खुशी और समृद्धि ला सकते हैं।

दान और सेवा: इस दिन दान और सेवा के कार्य करने पर विचार करें। ज़रूरतमंदों की मदद करना और दान देना भगवान शिव को प्रसन्न करता है और जीवन में सुख-शांति ला सकता है।

कहानियाँ सुनाना: भगवान शिव और देवी पार्वती की कहानियां सुनें, जो उनके प्रेम, भक्ति और समर्पण को दर्शाती हैं। ये कहानियां हमें जीवन में प्रेम, समर्पण और वफादारी के महत्व को सिखाती हैं।

महाशिवरात्रि एक ऐसा अवसर है जब विवाहित जोड़े अपने रिश्ते को और मजबूत बनाने के लिए भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और इस दिन को आध्यात्मिक रूप से समर्पित कर सकते हैं।


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