
ST.News Desk : दिल्ली के निजी स्कूलों में फीस वृद्धि को लेकर राजनीति गरमा गई है। शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने सोमवार को स्पष्ट किया कि मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने वाले स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने पूर्ववर्ती आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके शासनकाल में भी कई स्कूलों ने फीस बढ़ाई थी, लेकिन सरकार ने आंखें मूंद ली थीं।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में सूद ने कहा, “दिल्ली के 1,677 निजी स्कूलों में से 335 स्कूल सरकारी ज़मीन पर हैं, जबकि 114 स्कूलों को राज्य सरकार से अनुमति लेने की बाध्यता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के मॉडर्न स्कूल मामले में स्पष्ट किया था कि फीस बढ़ाने से पहले शिक्षा निदेशालय से अनुमति जरूरी है। लेकिन आप सरकार ने 2024 में दिल्ली हाईकोर्ट से इस आदेश को खारिज करवा दिया।”
सूद ने यह भी आरोप लगाया कि आप सरकार के कार्यकाल में कई स्कूलों को बिना पर्याप्त ऑडिट और जांच के फीस बढ़ाने की अनुमति दी गई। उन्होंने कहा कि एहल्कन इंटरनेशनल स्कूल, एंजल पब्लिक स्कूल, सलवान पब्लिक स्कूल और लांसर्स कॉन्वेंट स्कूल जैसे संस्थानों में करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार की अनदेखी की गई और इन्हें फीस वृद्धि की छूट मिलती रही।
सूद ने घोषणा की कि पहली बार एक व्यापक ऑडिट अभियान चलाया जाएगा, जिसकी अगुवाई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में एक कमेटी करेगी। “सभी 1,677 स्कूलों का ऑडिट होगा और जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी ।
आप का पलटवार
इस बीच, दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता और पूर्व शिक्षा मंत्री आतिशी ने सरकार पर करारा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के शासन में आने के बाद से निजी स्कूलों ने “मनमानी लूट” शुरू कर दी है। आतिशी ने दावा किया, “जब आप सरकार थी, हमने फीस वृद्धि पर सख्त नियंत्रण रखा था। यदि ऑडिट में गड़बड़ी पाई जाती थी, तो स्कूलों को अतिरिक्त वसूली गई राशि वापस करने के निर्देश दिए जाते थे।”
आतिशी ने कहा कि भाजपा की मौजूदा सरकार ने स्कूलों को खुली छूट दे दी है और स्कूल मनचाही फीस बढ़ा रहे हैं। “भाजपा सरकार बनने के बाद निजी स्कूलों को प्रोत्साहन मिला है और अब वे मनमाने ढंग से फीस वसूल रहे हैं।
फीस वृद्धि को लेकर शुरू हुई इस बहस ने अब राजनीतिक रूप ले लिया है। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार और उदासीनता के आरोप लगा रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी दिनों में सरकार की ऑडिट प्रक्रिया क्या निष्कर्ष लाती है और क्या इससे दिल्ली के अभिभावकों को राहत मिलती है।
