
हैदर अली
रोहतास ब्यूरो,(संचार टाइम्स.न्यूज)

सासाराम का युवा हिमांशु भारतीय संस्कृति की प्राचीन कला मंडाला आर्ट को पुनर्स्थापित करने में जुटा हुआ है। हजारों साल पुरानी इस पौराणिक कला को वह आधुनिक डिज़ाइन के तड़के के साथ प्रस्तुत कर रहा है, जिससे यह कला न केवल प्राचीन बनी रहती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक नया आकर्षण भी प्राप्त करती है।
मंडाला आर्ट का विशेष उपयोग बौद्ध धर्म में ध्यान और मेडिटेशन के लिए किया जाता रहा है। हिमांशु ने अमेरिका और ब्रिटेन के कई शैक्षिक संस्थानों से ऑनलाइन इस कला को सीखा है और अब इसे फिर से जीवित करने की कोशिश कर रहा है। वह इसे अब डिजिटल मशीनों के माध्यम से आधुनिक रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिससे यह कला भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो रही है।
मंडाला कला की जड़ें भारत में हैं, लेकिन यह कला चीन, जापान और वर्मा जैसे देशों में भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। भारत के प्राचीन मंदिरों, बौद्ध मठों और विहारों में इस कला के अद्भुत नमूने देखे जा सकते हैं। इसे ब्रह्मांड के केंद्र के रूप में धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। खासकर ध्यान योग करने वाले लोग इसे एक प्रभावशाली उपकरण मानते हैं।
हिमांशु ने इसे आधुनिक डिजिटल तकनीकों के जरिए नया रूप दिया है और इसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से बेचने की प्रक्रिया शुरू की है। उनके मंडाला आर्ट की कीमत दो हजार रुपए से लेकर ढाई लाख तक विभिन्न आकारों और डिज़ाइनों में बिक रही है।
हिमांशु कहते हैं, “स्थानीय स्तर पर इसे और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि हम इस प्राचीन कला को नई पीढ़ी से जोड़ सकें और इसे एक रोजगार के अवसर के रूप में पेश कर सकें।” वह नए लड़कों को भी इस कला को सिखाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि यह कला आगे बढ़े और इसके प्रति लोगों का आकर्षण बढ़े।
बिहार सरकार के उद्योग विभाग ने हिमांशु को इस कला को बढ़ावा देने के लिए ऋण भी उपलब्ध कराया है, जिससे वह अपने काम को और अधिक विस्तार देने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
हिमांशु की यह पहल न केवल एक प्राचीन कला को जीवित रखने की कोशिश है, बल्कि यह सासाराम को एक वैश्विक कला केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
