crossorigin="anonymous"> कर्पूरी को भारत रत्न का स्वागत : कांग्रेस - Sanchar Times

कर्पूरी को भारत रत्न का स्वागत : कांग्रेस

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नई दिल्ली । कांग्रेस ने दिग्गज समाजवादी नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कपरूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित किए जाने के फैसले का स्वागत करते हुए बुधवार को कहा कि जाति आधारित जनगणना कराना ही कपरूरी ठाकुर को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने यह भी कहा कि देश को अब ‘सांकेतिक राजनीति’ नहीं बल्कि ‘वास्तविक न्याय’ चाहिए। कपरूरी ठाकुर को मरणोपरांत देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ दिए जाने की घोषणा की गई है। राष्ट्रपति भवन ने मंगलवार को उनकी जन्म शताब्दी की पूर्व संध्या पर यह घोषणा की। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘सामाजिक न्याय के अप्रतिम योद्धा जननायक कपरूरी ठाकुर जी को उनकी जन्म शताब्दी पर सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। वह निश्चित ही भारत के अनमोल रत्न हैं और उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न दिए जाने के फैसले का स्वागत है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि 2011 में हुई सामाजिक और आर्थिक जातीय जनगणना के नतीजों को भाजपा सरकार द्वारा छिपाना और राष्ट्रव्यापी जनगणना के प्रति उनकी उदासीनता सामाजिक न्याय के आंदोलन को कमज़ोर करने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि भागीदारी न्याय ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के पांच न्यायों में से एक प्रमुख न्याय और सामाजिक समानता का केंद्रंिबदु है, जिसकी शुरुआत सिर्फ जातिगत जनगणना के बाद ही हो सकती है। राहुल गांधी ने कहा, सही मायने में यही कदम जननायक कपरूरी ठाकुर जी और पिछड़ों एवं वंचितों के अधिकारों के लिए उनके संघर्षं को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगा। देश को अब ‘सांकेतिक राजनीति’ नहीं बल्कि ‘वास्तविक न्याय’ चाहिए।’ कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘सामाजिक न्याय के प्रणोता जननायक कपरूरी ठाकुर जी को ‘भारत रत्न’ दिया जाना भले ही मोदी सरकार की हताशा और पाखंड को दर्शाता है, फिर भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कपरूरी ठाकुर जी को मरणोपरांत भारत रत्न दिए जाने का स्वागत करती है। उन्होंने कहा कि ‘भागीदारी न्याय’ भारत जोड़ो न्याय यात्रा के पांच स्तंभों में से एक है, इसके आरंभिकंिबदु के रूप में राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना की आवश्यकता होगी। रमेश ने कहा, राहुल गांधी जी लगातार इसकी वकालत करते रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार ने सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना 2011 के नतीजे जारी करने से इनकार कर दिया है और एक नयी राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना कराने से भी इनकार कर दिया है।


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