crossorigin="anonymous"> ज्ञानवापी केस: व्यास तहखाने में जारी रहेगी पूजा, सुप्रीम कोर्ट से मस्जिद पक्ष को झटका - Sanchar Times

ज्ञानवापी केस: व्यास तहखाने में जारी रहेगी पूजा, सुप्रीम कोर्ट से मस्जिद पक्ष को झटका

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ज्ञानवापी व्यास जी तहखान में पूजा मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि राज्य सरकार के आदेश पर 1993 से कब्जा हमारे पास था. पिछले 30 साल से पूजा नहीं हो रही थी. इस पर रोक लगाई जानी चाहिए. हालांकि, कोर्ट ने पूजा पर रोक लगाने से इनकर कर दिया है.
ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है. शीर्ष अदालत ने कहा है कि व्यास जी तहखाने में पूजा जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने व्यास तहखाने में पूजा करने के वाराणसी कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. इसके साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष को नोटिस भी जारी किया है. कोर्ट ने यथा स्थिति को लेकर आदेश जारी करते हुए मस्जिद का

गूगल अर्थ इमेज पेश करने को कहा है.
आज हुई सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि व्यास तहखाने के मामले में कब्जा देने के आदेश में 7 दिन का समय दिया गया। हाईकोर्ट ने राहत नहीं दी. वहां पूजा हो रही है. अहमदी ने कहा कि पिछले 30 साल से पूजा नहीं हुआ थी. ऐसे में यह अदालत निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाए. यह मस्जिद के परिसर में है और इसको इजाजत देना उचित नहीं.


मुस्लिम पक्ष ने दलील में क्या कहा?

अहमदी ने कहा कि राज्य सरकार के आदेश पर 1993 से कब्जा हमारे पास था. पिछले 30 साल से पूजा नहीं हो रही थी. इस पर रोक लगाई जानी चाहिए. जिस पर सीजेआई ने कहा कि हाईकोर्ट ने यह पाया है कि पहले कब्जा व्यास परिवार के पास था. जिसके बाद अहमदी ने कहा कि यह उनका दावा है. कोई साक्ष्य नहीं है. यह मस्जिद की जगह है. मैं इतिहास में नहीं जाना चाहता. ऐसा आदेश सिविल कोर्ट कैसे दे सकती है.
अहमदी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दलील देते हुए कहा कि मामले में वाराणसी कोर्ट ने सिविल दावे से आगे जाकर आदेश दिया है. अहमदी ने कहा कि 1993 से 2023 तक कोई पूजा नहीं होती थी और 2023 में दावा किया गया और उस पर अदालत ने आदेश कर दिया और पूजा स्थल कानून को ध्यान में रखते हुए दिया गया.


मुस्लिम पक्ष बोला- वाराणसी कोर्ट ने सिविल दावे

अहमदी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दलील देते हुए कहा कि मामले में वाराणसी कोर्ट ने सिविल दावे से आगे जाकर आदेश दिया है. अहमदी ने कहा कि 1993 से 2023 तक कोई पूजा नहीं होती थी और 2023 में दावा किया गया और उस पर अदालत ने आदेश कर दिया और पूजा स्थल कानून को ध्यान में रखते हुए दिया गया.


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