झारखंड में सीएम चंपई सोरेन की सरकार के गठन के 15 दिनों के भीतर कैबिनेट का भी विस्तार हो गया। हालांकि, इस विस्तार के बाद झारखंड सरकार के सामने नया संकट खड़ा होता दिखाई दे रहा है। कई कांग्रेस विधायकों में नराजगी है। कांग्रेस विधायक अनूप सिंह ने कहा कि हम कुल मिलाकर 12 लोग हैं। हमने एक पत्र के माध्यम से अपनी चिंता अपने पीसीसी अध्यक्ष के साथ साझा की है। हमारी मांग पहले जैसी ही है। उन्होंने कहा कि शपथ समारोह में शामिल होने का मतलब यह नहीं है कि हम अपनी मांगों को भूल गए हैं। हम केवल हमारी चिंताओं के बारे में अपनी पार्टी को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस विधायक दीपिका पांडे सिंह ने कहा कि कैबिनेट विस्तार होने से पहले हमने अपने विचार रखे थे… हमारी मांग थी कि अगर नई सरकार बन रही है और कैबिनेट में फेरबदल हो रहा है तो नए चेहरों को मौका देना चाहिए था। कैबिनेट को लेकर कांग्रेस विधायकों की असहमति पर जेएमएम नेता मनोज पांडे ने कहा कि परेशान या नाराज होना गलत नहीं है, उम्मीदें तो हर किसी की होती हैं। लेकिन जब अंतिम निर्णय की घोषणा की गई, तो सभी विधायक विधानसभा में मौजूद थे… वे कांग्रेस के अनुशासित सिपाही हैं और परिस्थितियों को समझते हैं। वे शपथ ग्रहण समारोह में इसलिए आये क्योंकि वे अपने नेतृत्व से आश्वस्त थे।
वहीं, मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के विधायक बैद्यनाथ राम ने शुक्रवार को कहा कि वह ‘‘इस अपमान’’ को बर्दाश्त नहीं करेंगे और जरूरी हुआ तो अगले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे। राम ने कहा, ‘‘सब कुछ तय हो गया था और मेरा नाम मंत्रियों की सूची में शामिल किया गया। लेकिन, आखिरी वक्त पर मेरा नाम काट दिया गया। यह अपमान है। मैं इसे बर्दाश्त नहीं करूंगा।’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के दबाव में मेरा नाम हटा दिया गया।’’ राम ने यह भी दावा किया कि मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह दो दिन के भीतर मामले का समाधान करेंगे।