
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें भर्ती अनियमितता मामले में सीबीआई और ईडी पूछताछ के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता अभिषेक बनर्जी को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया गया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि वह इस स्तर पर याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। पीठ ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार उचित राहत के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकती है।

कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा 8 जुलाई को सीबीआई और ईडी पूछताछ के खिलाफ बनर्जी को अंतरिम राहत देने से इनकार करने के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय ने कहा था कि बनर्जी किसी अंतरिम राहत के हकदार नहीं हैं क्योंकि उनके खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। सीबीआई और ईडी पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) में ग्रुप-डी कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितता के आरोपों की जांच कर रही है। बनर्जी, जो टीएमसी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे हैं, इस मामले के आरोपियों में से एक हैं।
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सुप्रीम कोर्ट का फैसला पश्चिम बंगाल सरकार और बनर्जी के लिए झटका है। इससे मामले में बनर्जी से पूछताछ करने के लिए सीबीआई और ईडी का रास्ता साफ होने की संभावना है। इस मामले का पश्चिम बंगाल में राजनीतिक असर पड़ने की संभावना है। टीएमसी भ्रष्टाचार के कई आरोपों का सामना कर रही है और बनर्जी के खिलाफ मामले को पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।
