- इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को बाल विवाह निषेध अधिनियम को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई को एक गैर सरकारी संगठन की जनहित याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा, जिसमें देश में बाल विवाह में वृद्धि और संबंधित कानून को “शब्दशः और भावना” से लागू न किए जाने का आरोप लगाया गया था।
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने फैसला सुरक्षित रखने से पहले याचिकाकर्ता ‘सोसाइटी फॉर एनलाइटनमेंट एंड वॉलंटरी एक्शन’ के वकील और केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी की दलीलें सुनीं।