crossorigin="anonymous"> राष्ट्रपति के सामने छलका नीतीश कुमार का भाजपा प्रेम, जब तक जिंदा हैं, हमारी दोस्ती जारी रहेगी - Sanchar Times

राष्ट्रपति के सामने छलका नीतीश कुमार का भाजपा प्रेम, जब तक जिंदा हैं, हमारी दोस्ती जारी रहेगी

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में एक स्पष्ट संबोधन में कहा कि उनके और भाजपा नेताओं के बीच सौहार्द “जब तक वह जीवित हैं” बरकरार रहेगा। नीतीश कुमार ने यह वक्तव्य केंद्रीय विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह में दिया जिसमें राष्ट्रपति सहित गणमान्य लोग उपस्थित थे। भीड़ को संबोधित करते हुए, नीतीश कुमार ने भाजपा संसद सदस्यों राधामोहन सिंह और उपस्थित अन्य भाजपा नेताओं की ओर इशारा करते हुए उनकी एकता को रेखांकित किया। उन्होंने घोषणा की, “ये सभी लोग दोस्त हैं। कौन कहां है? कुछ भी मत मानिए। मैं स्पष्ट कर दूं कि हमारी दोस्ती जारी रहेगी। चिंता न करें।”

नीतीश कुमार ने इस दौरान राष्ट्रपति के सामने ही नरेंद्र मोदी सरकार का आभार जताया। इसके साथ ही केंद्र की तत्कालिन मनमोहन सरकार पर भी तंज कसा। नीतीश कुमार के इस बयान के कई सियासी मायने निकाले जाने शुरू हो गए हैं। नीतीश कुमार ने कहा कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाले सरकार ने हमारी बात नहीं सुनी लेकिन 2014 में केंद्र में नई सरकार का गठन हुआ तो उनकी बात को मान लिया गया। मनमोहन सिंह की सरकार ने 2007 में सेंट्रल यूनिवर्सिटी खोलने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि 2016 में विश्वविद्यालय को लेकर कदम उठाया गया। अपने संबोधन की शुरुआत में नीतीश कुमार ने कहा कि मोतिहारी ही वह जगह है जहां महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत की थी। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मोतिहारी आने की अपील की और कहा कि हमने यहां महात्मा गांधी को लेकर क्या-क्या काम किए हैं सब हम आपको बताएंगे।

इसी के बाद नीतीश कुमार ने भाजपा से अपनी दोस्ती वाली राग छेड़ी। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और बीजेपी सांसद राधामोहन सिंह की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये जितने लोग हैं, सब साथी हैं ।बेहद ही सहज और मजाकिया अंदाज में नीतीश ने कहा कि कौन कहां है, छोड़िए न भाई। छोड़ो न एकरा से का मतलब है। हमारा त दोस्ती कहियो खत्म होगा। जब तक हम जीवित रहेंगे, आप लोगों के साथ भी मेरा संबंध रहेगा। चिंता मत करिए। नीतीश कुमार किस बयान से कहीं ना कहीं बिहार के सियासत में एक बार फिर से चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। बड़ा सवाल यही है कि क्या नीतीश कुमार अपने संबोधन के जरिए राजद और लालू प्रसाद यादव को कोई संदेश देना चाहते हैं।


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