नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार कांग्रेस की दुखती रग पर हाथ रखते हुए इस बात का ऐलान किया कि अब हर साल 25 जून को देश में संविधान हत्या दिवस मनाया जाएगा। दरअसल, 25 जून 1975 को देश में इमरजेंसी लगाई गई थी। कांग्रेस की तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा किए गए इस कृत्य को सभी को बार-बार याद दिलाने के मकसद से यह कदम उठाया जा रहा है। अमित शाह ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल के माध्यम से इस बात का ऐलान किया।
कांग्रेस पार्टी बीते लोकसभा चुनाव में बार-बार बीजेपी पर संविधान बदलने का आरोप लगाती रही है।सरकार के 400 पार के नारे पर कांग्रेस की तरफ से कहा गया था कि उन्हें 400 सीटें संविधान बदलने के लिए ही चाहिए। अब कांग्रेस के इस अभियान की काट करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से यह कदम उठाया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पर लिखा, ‘प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय का उद्देश्य उन लाखों लोगों के संघर्ष का सम्मान करना है, जिन्होंने तानाशाही सरकार की असंख्य यातनाओं व उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए संघर्ष किया। ‘संविधान हत्या दिवस’ हर भारतीय के अंदर लोकतंत्र की रक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अमर ज्योति को जीवित रखने का काम करेगा, ताकि कांग्रेस जैसी कोई भी तानाशाही मानिसकता भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न कर पाए।
जेपी आंदोलन और इंदिरा गांधी के खिलाफ देश में बने माहौल को कुचने के मकसद से इमरजेंसी की घोषणा की गई थी। उस वक्त देश के तमाम बड़े नेताओं को करीब डेढ़ साल तक के लिए जेल में डाल दिया गया था। भारत के संविधान के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार है।
क्यों लगा था आपातकाल : बता दें कि 1975 में आपातकाल लागू करने का ऐलान इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद आया था। हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर 12 जून 1975 को फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के रायबरेली से निर्वाचन को रद्द कर दिया था और अगले 6 साल तक उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध भी लगा दिया था।