दुनियाभर में जैसे-जैसे मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं। वि स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने जैसे ही एमपॉक्स को ग्लोबल इमरजेंसी घोषित किया है, तब से इसे लेकर भारत में भी लोगों के मन में डर पनप रहा है। एक तरह का वायरल संक्रमण मंकीपॉक्स, लगभग कोरोना की तरह ही एक से दूसरे में फैल सकता है। मंकीपॉक्स के मरीज के संपर्क में आने पर इससे दूसरों को भी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। चूंकि इस बीमारी में बुखार और शरीर पर दाने निकल आते हैं तो क्या अगर किसी को ऐसा लक्षण दिखे तो उसे मान लेना चाहिए कि मंकीपॉक्स हो गया है। इस पर विशेषज्ञों ने रोकथाम, बचाव संबंधी सुझाव दिए हैं।
वायरल बीमारी : एम्स में डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन में प्रोफेसर डॉ. नीरज निश्चल के अनुसार मंकीपॉक्स एक वायरल बीमारी है, जैसे पहले के समय में स्मॉलपॉक्स होता था या कुछ समय पहले तक चिकनपॉक्स होता रहा है। यह एक वायरल संक्रमण है हालांकि सेल्फ लिमिटेड है। इसके लक्षणों की बात करें तो इस बीमारी में बुखार के साथ त्वचा पर रैशेज होते हैं जो कि फफोले की तरह दिखते हैं। ये चेहरे से शुरू होकर शरीर के बाकी हिस्सों में फैलते हैं।
मंक्की पॉक्स खतरा इनसे : डा. निश्चल के अनुसार देखा जाए तो जिनका यात्रा का इतिहास है, उस देश से आया है, जहां ये फैला हुआ या है या व्यक्ति उन लोगों के संपर्क में रह चुका है, जिन्हें मंकीपॉक्स हुआ हो तो उन्हें मंकीपॉक्स होने का खतरा रहता है। अगर ऐसे कनेक्शन वाला कोई भी बुखार का मरीज आता है, जिसके शरीर पर दाने या फफोले भी हो रखे हैं, गर्दन के लिंफ नोड्स में सूजन है, तो ऐसी स्थिति में मंकीपॉक्स के संक्रमण का खतरा मानते हैं।
शरीर पर दाने का मतलब मंकीपॉक्स : आईएचएफ के अध्यक्ष डॉ. आरएन कालरा के अनुसार यह बीमारी हमारे देश में कॉमन नहीं है। यहां मंकीपॉक्स से संक्रमित मरीज भी बहुत नहीं आए हैं। मान लीजिए अगर आप घर में बैठे हैं और आपको बुखार आ जाता है, शरीर पर दाने निकल आते हैं, तो इसका ये मतलब नहीं है कि आपको मंकीपॉक्स हो गया। भारत जिन बीमारियों का प्रिवलेंस बहुत ज्यादा है जैसे डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया आदि में भी बुखार के साथ रैशेज हो सकते हैं।
इलाज : सफदरजंग अस्पताल में डिपार्टमेंट आफ कम्यूनिटी मेडिसिन के चीफ डॉ. जुगल किशोर के अनुसार इलाज से भी ज्यादा इसका बचाव जरूरी है। इस बीमारी में भी कोविड की तरह लक्षणों के आधार पर इलाज दिया जाता है। अगर बुखार है तो पैरासीटामोल देकर बुखार कम करेंगे। मरीज को हाइड्रेटेड रखने की कोशिश करेंगे। अगर फफोले इन्फेक्टेड नहीं हैं तो कु छ करने की जरूरत नहीं है। मैक्स के डॉ. विवेका कुमार ने कहा कि दाने खुद ही ठीक हो जाएंगे। सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द है तो भी दवा से कंट्रोल किया जा सकता है। कई बार रेस्पिरेटरी लक्षण जैसे खांसी आदि हो जाती है तो भी सिम्टोमैटिक ट्रीटमेंट ही देंगे।