भाजपा सांसद कंगना रनौत ने वर्ष 2021 में निरस्त किये गये कृषि कानूनों को वापस लाने की मांग संबंधी अपना बयान बुधवार को वापस ले लिया और कहा कि ये उनके विचार ‘निजी’ हैं और पार्टी के रुख को प्रदर्शित नहीं करते हैं।
कंगना ने कहा कि उन्होंने विवादास्पद कानूनों पर अपने बयान से संभवत: कई लोगों को निराश किया है और उन्हें इस बात पर खेद है। भाजपा की हिमाचल प्रदेश इकाई ने भी मंडी की सांसद रनौत के बयान से दूरी बना ली है। रनौत ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, किसान कानूनों पर मेरे विचार निजी हैं और इन विधेयकों पर पार्टी के रुख को नहीं प्रदर्शित करते हैं। उन्होंने ‘एक्स’ पर अपना एक वीडियो बयान भी जारी किया जिसमें उन्होंने कहा, जब किसानों के कानूनों का प्रस्ताव आया, तब हममें से कई ने उनका समर्थन किया लेकिन बहुत ही संवेदनशीलता एवं सहानुभूति से हमारे सम्मानीय प्रधानमंत्री ने उन कानूनों को वापस ले लिया। उन्होंने कहा, मुझे यह अवश्य याद रखना चाहिए कि मैं अब एक कलाकार ही नहीं, बल्कि भाजपा की एक सदस्य भी हूं और मेरे विचार निजी नहीं बल्कि पार्टी का रुख प्रतिबिंबित करने वाले होने चाहिए।
रनौत ने 68 सेकेंड के इस वीडियो में कहा, यदि मैंने अपने शब्दों एवं विचारों से किसी को निराश किया है तो मैं अपने शब्द वापस लेती हूं। उन्होंने मंडी में मंगलवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि इन तीन कृषि कानूनों का केवल कुछ राज्यों में विरोध हुआ। उन्होंने कहा था, किसान भारत की प्रगति के शक्तिस्तंभ हैं। केवल चंद राज्यों में ही उन्होंने कृषि कानूनों का विरोध किया। मैं हाथ जोड़कर अपील करती हूं कि किसानों के हित में इन कृषि कानूनों को वापस लाया जाए। उन्होंने कहा था कि देश प्रगति के मार्ग पर है और कृषि कानूनों की बहाली से बेहतर वित्तीय स्थायित्व एवं किसानों का विकास सुनिश्चित होगा एवं अंतत: कृषि क्षेत्र को लाभ होगा। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि ये बयान इस बात का संकेत हैं कि सत्तारूढ़ दल इन तीन कानूनों को वापस लाने की कोशिश कर रहा है। उसने कहा कि हरियाणा उसका मुंहतोड़ जवाब देगा।