
New Delhi : ST.News

कविता “मां, कहां मरती है!” में अभय कुमार शर्मा ‘मलोट’ ने मां की अहमियत और उसकी यादों की गहरी भावना को व्यक्त किया है। यह कविता एक बेटे के दिल से निकलकर मां की कमी और उसके बिना जीवन की सूनी राहों को दर्शाती है।
कविता में, बचपन में मां के पल्लू के संरक्षण की यादें, उसकी स्नेह और देखभाल की ओर इशारा करती हैं, जो जीवन के कठिन पल में हमेशा हमें संजीवनी शक्ति देती हैं। यह कविता मां के अदृश्य, लेकिन स्थायी प्रभाव को महसूस कराती है, चाहे वह उसके संस्कारों के रूप में हो या उसकी हर छोटी सी बात और उपस्थिति की याद में।
मां के बिना जीवन कितना सूना होता है, यह कविता उन सभी भावनाओं और यादों को एक सुंदर तरीके से बयां करती है।
अभय कुमार शर्मा ‘मलोट’

वो पल्लू,
जो बचपन में,
हमे छुपाता था,
धूप से,
धूल से,
आज,
उसकी कमी अखरती है।
मां,
सदा याद रहती है,
वो कहां मरती है!सब कुछ दिया प्रभु ने,
मगर,
आंखें उसको तरसती हैं।
मां,
सदा याद रहती है,
वो कहां मरती है!कभी, पत्नि के प्यार में,
कभी, बेटे की तकरार में।
कभी,
बेटी बन गरजती है।
मां,
सदा याद रहती है,
वो कहां मरती है!बातों के सलीके में,
उठने बैठने के तरीके में,
वो,
संस्कार बन छलकती है।
मां,
सदा याद रहती है,
वो कहां मरती है।
