
प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद बिहार बना सियासत का केंद्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान—“बिहार से होकर ही गंगा बंगाल जाती है”—के बाद देशभर की राजनीति का फोकस बिहार पर आ गया है। इसी सियासी हलचल के बीच भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा संगठनात्मक फैसला लेते हुए 45 वर्ष के नितिन नबीन को पार्टी का नया कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया है। 45 साल पहले स्थापित बीजेपी द्वारा लिया गया यह कदम आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिहाज से एक बड़े दांव के तौर पर देखा जा रहा है।

दरअसल, पश्चिम बंगाल और असम जैसे अहम राज्यों में होने वाले चुनावों से पहले नितिन नबीन को यह बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या बीजेपी नितिन नबीन के नेतृत्व में बंगाल जैसे चुनौतीपूर्ण राज्य में जीत दर्ज कर पाएगी। पार्टी के भीतर भी उनके कद में बढ़ोतरी के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या इससे बिहार के कुछ वरिष्ठ नेताओं का राजनीतिक प्रभाव कम हुआ है।
कायस्थ जाति और सियासी समीकरण
बिहार की राजनीति में जातिगत समीकरण हमेशा अहम रहे हैं। नितिन नबीन कायस्थ जाति से आते हैं और उनके राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद इस समाज से जुड़े कई सवाल सामने आए हैं। बिहार में कायस्थ समाज की आबादी करीब 0.60 प्रतिशत बताई जाती है। 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी द्वारा सिर्फ दो कायस्थ उम्मीदवारों को टिकट दिए जाने को लेकर पहले ही सवाल उठते रहे हैं। अब नितिन नबीन की नियुक्ति के बाद यह बहस फिर तेज हो गई है कि क्या पार्टी कायस्थ समाज को नए सिरे से साधने की कोशिश कर रही है।
रविशंकर प्रसाद की सीट पर अटकलें
एक ओर नितिन नबीन को कायस्थ समाज का बड़ा चेहरा माना जा रहा है, तो दूसरी ओर पटना साहिब से सांसद और वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद हैं। उनकी सीट को लेकर पहले भी कई बार चर्चाएं होती रही हैं कि बीजेपी भविष्य में बदलाव कर सकती है। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि पटना साहिब सीट से बीजेपी के संस्थापक सदस्य और पूर्व राज्यसभा सांसद आर.के. सिंह के बेटे ऋतुराज सिन्हा चुनाव लड़ सकते हैं। ऋतुराज सिन्हा भी कायस्थ जाति से आते हैं।
ऋतुराज सिन्हा के राजनीतिक भविष्य पर सवाल
ऋतुराज सिन्हा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है। अब नितिन नबीन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या नितिन नबीन अब बिहार की सक्रिय राजनीति से दूर होकर राष्ट्रीय भूमिका में पूरी तरह सक्रिय होंगे, या फिर पार्टी उन्हें संसद की राजनीति की ओर ले जाएगी। अगर ऐसा होता है तो क्या रविशंकर प्रसाद के राजनीतिक भविष्य पर असर पड़ेगा—यह बड़ा सवाल बना हुआ है।
सियासी एक्सपर्ट्स की राय
राजनीतिक जानकार धीरेंद्र कुमार का कहना है कि किसी एक नेता का कद बढ़ने का मतलब यह नहीं होता कि दूसरे नेताओं का कद घट गया है। रविशंकर प्रसाद की राजनीति अपने स्वाभाविक अंतिम चरण में है, लेकिन यह कहना उचित नहीं होगा कि नितिन नबीन के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से उनके लिए कोई तात्कालिक संकट खड़ा हो गया है। हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि अगर किसी पर दबाव बढ़ा है तो वह ऋतुराज सिन्हा हो सकते हैं।
बांकीपुर से विधायक हैं नितिन नबीन
नितिन नबीन फिलहाल पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली बांकीपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं। माना जा रहा है कि अगर पार्टी भविष्य में बड़ा राजनीतिक दांव खेलती है, तो पटना साहिब लोकसभा सीट पर नितिन नबीन का दावा मजबूत हो सकता है। ऐसे में आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति और बीजेपी के अंदरूनी समीकरणों पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।

