मेलबर्न। अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने पिछले हफ्ते घोषणा की कि उनकी मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस कंपनी ‘न्यूरांिलक’ ने पहली बार किसी इंसान में एक उपकरण प्रतिरोपित किया है। कंपनी का ‘प्राइम’ अध्ययन ‘पक्षाघात से पीड़ित लोगों के’ मस्तिष्क में प्रतिरोपण का परीक्षण कर रहा है ताकि वे ‘अपने विचारों से बाहरी उपकरणों को नियंत्रित कर सकें।’ ‘प्राइम’ अध्ययन को अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने पिछले साल अनुमोदित किया था। ‘न्यूरांिलक’ को प्रयोगशाला में जानवरों के साथ र्दुव्यवहार के लिए पिछले कुछ वर्षों में जांच का सामना करना पड़ा है और कंपनी के कई अधिकारी कंपनी छोड़कर चले गए हैं। इसके बावजूद 10 साल से कम पुरानी कंपनी के लिए ‘प्राइम’ परीक्षण एक बड़ी उपलब्धि है। न्यूरांिलक की चुनौतियां अभी खत्म नहीं हुई हैं। किसी उपकरण को प्रतिरोपित करना प्रतिस्पर्धियों, वित्तीय बाधाओं और नैतिक दुविधाओं से घिरी दशकों तक चलने वाली क्लिनिकल परियोजना की शुरुआत भर है।
अगली पीढ़ी के मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस का व्यावसायीकरण करने की दौड़ में न्यूरांिलक को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है और उसकी सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वींिसक्रोन नामक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी है। मेलबर्न स्थित इस स्टार्ट-अप ने हाल में मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं के माध्यम से माइक्रोइलेक्ट्रोड का प्रतिरोपण किया। इसकी मदद से पक्षाघात से पीड़ित मरीज स्मार्टफोन और टैबलेट का उपयोग करने, इंटरनेट का इस्तेमाल करने, ईमेल भेजने, वित्त प्रबंधन और ‘एक्स’ पर पोस्ट करने में सक्षम हुए। न्यूरांिलक और अन्य मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस के लिए आवश्यक विस्तृत न्यूरोसर्जरी के बजायंिसक्रोन के उपकरण के प्रतिरोपण के लिए गर्दन में केवल एक मामूली चीरा लगाने की आवश्यकता होती है।
मस्क और उनकी टीम को अनुसंधान की ईमानदारी और मरीजों की देखभाल के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता बनाए रखनी होगी। मरीजों के समुदायों से जुड़ने के लिए न्यूरांिलक द्वारा स्थापित की गई रोगी रजिस्ट्री सही दिशा में उठाया गया कदम है। मरीजों और उनके परिवारों को हो सकने वाला नुकसान रोकने के लिए दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता होगी।