
ST.News Desk : पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान को एक बड़ा कूटनीतिक झटका लगा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में मंगलवार को पाकिस्तान के अनुरोध पर जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर हुई बंद कमरे की बैठक बिना किसी निष्कर्ष, बयान या प्रेस विज्ञप्ति के समाप्त हो गई।

यह बैठक न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सोमवार दोपहर शुरू हुई थी। बैठक के कुछ घंटे पहले ही संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को “पिछले कई वर्षों के उच्चतम स्तर” पर बताया था और चिंता जताई थी। पाकिस्तान ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाते हुए कश्मीर, सैन्य निर्माण और भारत के कथित “आक्रामक व्यवहार” की बात की।
हालांकि, सुरक्षा परिषद के किसी भी सदस्य ने बैठक के बाद कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की, न ही कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया दी गई। यह बैठक सामान्य सुरक्षा परिषद चैंबर के बजाय उसके बगल स्थित परामर्श कक्ष में हुई — जो दर्शाता है कि यह एक औपचारिक नहीं बल्कि अनौपचारिक चर्चा थी।
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद ने इस दौरान भारत पर झूठे आरोप लगाते हुए कश्मीर मुद्दे को फिर से उठाने की कोशिश की, और सिंधु जल संधि को निलंबित करने के भारत के कदम को “आक्रामकता” करार दिया। भारत, जो कि इस बैठक में आधिकारिक रूप से पक्ष नहीं था, का मानना है कि यह पाकिस्तान का एक और प्रयास था वैश्विक मंच पर झूठा नैरेटिव स्थापित करने का।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने पहले ही स्पष्ट किया था कि ऐसी बैठकों से कोई ठोस परिणाम नहीं निकलता जब एक पक्ष केवल अपने हित साधने के लिए परिषद का मंच उपयोग करता है। उन्होंने कहा, “भारत ऐसे पाकिस्तानी प्रयासों को विफल करता रहेगा।”
गौरतलब है कि अगस्त 2019 में भी चीन के समर्थन से पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर यूएनएससी में इसी तरह की चर्चा करवाई थी, जो तब भी बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई थी।
इस बार भी UNSC के अधिकांश सदस्यों ने यही रुख दोहराया कि भारत और पाकिस्तान के बीच यह मामला द्विपक्षीय है और इसे आपसी संवाद से ही सुलझाया जाना चाहिए।
