
ST.News Desk
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन के साथ दिल्ली पहुंचे तो सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई। चर्चा है कि वे दिल्ली में बीजेपी शीर्ष नेतृत्व से ‘गुपचुप मुलाकात’ कर सकते हैं। इसी बीच झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार और गृहमंत्री अमित शाह की मुलाकात की तस्वीर सामने आई, जिसने अटकलों को और हवा दे दी है।

JMM का दावा—गठबंधन अटूट, BJP से हाथ मिलाने का सवाल नहीं। जेएमएम ने सभी चर्चाओं को खारिज कर दिया है। पार्टी सांसद महुआ माझी ने कहा, “हेमंत सोरेन मुश्किल दौर में जेल नहीं गए, तो अब बीजेपी से हाथ क्यों मिलाएँगे? गठबंधन मजबूत है और सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।” जेएमएम प्रवक्ता कुणाल सारंगी और भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने भी साफ कहा कि दोनों पार्टियों का गठबंधन असंभव है। “जेएमएम और भाजपा समंदर के दो किनारे हैं, जो कभी नहीं मिल सकते।”
“हेमंत नहीं झुकेंगे” – स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “हेमंत सोरेन में हिम्मत है, वे भाजपा के आगे नहीं झुकेंगे। राज्य भाजपा की अफवाहों से नहीं चलेगा। केंद्र पैसा न दे तो भी झारखंड खुद राजस्व जुटाने में सक्षम है।”
सोशल मीडिया पर गरम माहौल
सोशल मीडिया पर दो तरह की बहस चल रही है। जब सरकार स्थिर है, तो JMM बीजेपी के साथ क्यों जाएगा? वहीं कुछ लोग याद दिला रहे हैं कि हेमंत सोरेन पहली बार 2010 में BJP सरकार में ही उपमुख्यमंत्री बने थे, इसलिए सियासत में कुछ भी संभव है।
हेमंत सोरेन की राजनीतिक यात्रा: एक नजर में
2005: पहला चुनाव हार, दुमका सीट से पहली बार चुनाव लड़े, पर जेएमएम के बागी स्टीफन मरांडी से हार गए।
2009: पहली जीत, दूसरी कोशिश में विधानसभा पहुंचे। BJP–JMM में खींचतान जारी रही और दो बार राष्ट्रपति शासन लगा।
2010: BJP–JMM गठबंधन सरकार, अर्जुन मुंडा बने CM, हेमंत सोरेन बने उपमुख्यमंत्री।
2013: BJP से दूरी, कांग्रेस का साथ, हेमंत ने सपोर्ट वापस लेकर मुंडा सरकार गिराई और कांग्रेस-समर्थित सरकार में CM बने।
2014: चुनाव हार, बीजेपी पूर्ण बहुमत में आई।
2019 व 2024: दोबारा सत्ता में वापसी, JMM-कांग्रेस-राजद गठबंधन की जीत, हेमंत सोरेन बने CM।
दिल्ली दौरा बना चर्चाओं का केंद्र
दिल्ली दौरे को लेकर अनेक कयास लगाए जा रहे हैं, हालांकि JMM और BJP दोनों ही किसी भी संभावित गठबंधन की चर्चा को सिरे से नकार रहे हैं।
सियासत में कब क्या हो जाए, यह कोई नहीं जानता—लेकिन हेमंत सोरेन की दिल्ली मौजूदगी ने झारखंड की राजनीति में हलचल जरूर बढ़ा दी है।

