
ST.News Desk : केंद्रीय मंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने शुक्रवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और इसके संस्थापक लालू प्रसाद यादव पर तीखा हमला बोला। उन्होंने लालू यादव की जाति जनगणना को लेकर भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि “अगर जातिगत जनगणना उनका एजेंडा होता, तो वे 2004 में ही प्रधानमंत्री से इसकी मांग करते, न कि बिहार विधानसभा भंग करने की।”

ललन सिंह ने आरोप लगाया कि 2005 में जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनने वाले थे, उस वक्त लालू यादव ने यूपीए सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दी थी और रात 2 बजे तत्कालीन प्रधानमंत्री से मिलकर विधानसभा भंग करने का दबाव डाला था। उन्होंने कहा कि यह कदम सिर्फ सत्ता में अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए उठाया गया था, न कि सामाजिक न्याय के लिए।
राजद का एजेंडा सिर्फ परिवारवाद और भ्रष्टाचार: ललन सिंह
ललन सिंह ने राजद पर आरोपों की झड़ी लगाते हुए कहा, “राजद का एकमात्र एजेंडा परिवारवाद है। दूसरा एजेंडा था—भ्रष्टाचार। चारा घोटाला, अलकतरा घोटाला, नौकरी के बदले जमीन घोटाला—इन सब में उनका नाम जुड़ा है।”
तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, “अगर सामाजिक न्याय ही इनका असली एजेंडा है, तो तेजस्वी यादव बताएं कि 18 साल से कम उम्र में उन्होंने हजारों करोड़ रुपये कैसे कमाए? राजद के कार्यकर्ताओं से पूछिए कि उन्हें पार्टी की सदस्यता के लिए क्या कीमत चुकानी पड़ती है।”
जाति जनगणना पर श्रेय की जंग
बिहार में जाति जनगणना को लेकर राजनीतिक श्रेय की होड़ जारी है। एक ओर जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए इसे “देश के विकास के लिए एक सकारात्मक कदम” बताया, वहीं राजद नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इसे समाजवादियों और लालू यादव की जीत कहा।
इस पर पलटवार करते हुए ललन सिंह ने तेजस्वी से सवाल किया, “क्या आप एक भी ऐसा वीडियो दिखा सकते हैं जिसमें लालू यादव ने जातिगत जनगणना की मांग की हो?” उन्होंने जाति जनगणना का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार को दिया।
लालू यादव की सफाई और पुराना इतिहास
उधर, राजद प्रमुख लालू यादव ने दावा किया कि जब वे जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, तब 1996-97 में संयुक्त मोर्चा सरकार ने जातिगत जनगणना का निर्णय लिया था। उन्होंने यह भी कहा कि 2011 में संसद में उन्होंने, मुलायम सिंह और शरद यादव के साथ मिलकर इसे लेकर सरकार पर दबाव बनाया था, जिसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण का आश्वासन दिया।
लालू ने कहा कि “देश में पहली बार जातिगत सर्वे भी हमारी 17 महीने की महागठबंधन सरकार के दौरान बिहार में ही हुआ।”
