
ST.News Desk : दिल्ली सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि पर नियंत्रण के लिए स्कूल फीस एक्ट को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि यह अधिनियम दिल्ली के सभी 1677 निजी स्कूलों में पारदर्शी ढंग से फीस नियंत्रित करेगा, जो अब तक एक बड़ी चुनौती बना हुआ था।

सीएम गुप्ता ने कहा, “पहली बार किसी सरकार ने हिम्मत दिखाकर इस दिशा में कदम उठाया है। पिछली सरकारों के कार्यकाल में लगातार फीस में मनमानी बढ़ोतरी होती रही है, लेकिन अब हालात बदलेंगे। हम इसे जल्द सदन में पारित कराकर दिल्ली की जनता को समर्पित करेंगे।”
‘लूट का रास्ता बंद’ – मंत्री आशीष सूद का बयान
शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि यह एक्ट छात्रों और अभिभावकों की राहत के लिए लाया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि “पिछली सरकार ने जानबूझकर फीस वृद्धि को नजरअंदाज किया, और कई मामलों में अंडर-टेबल सेटलमेंट कर बच्चों को लूट का माध्यम बनाया।”
उन्होंने बताया कि उनकी सरकार द्वारा गठित डीएम कमेटी की अनुशंसा के बाद पहली बार दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) को कोर्ट की फटकार मिली। “हमारा उद्देश्य स्पष्ट है – छात्रों और अभिभावकों का मानसिक उत्पीड़न समाप्त करना,” उन्होंने कहा।
क्या है ‘दिल्ली स्कूल फीस अधिनियम’?
अब तक दिल्ली में ऐसा कोई स्पष्ट कानून नहीं था जो निजी स्कूलों द्वारा तय की जाने वाली फीस या उसकी वृद्धि को नियमित करे। इस कमी के कारण कुछ स्कूलों में हर साल फीस में असामान्य वृद्धि देखी जाती रही, जिससे मध्यमवर्गीय परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ा।
नई अधिनियम के लागू होते ही:
निजी स्कूलों को सरकारी मंजूरी के बिना फीस नहीं बढ़ाने दी जाएगी
हर स्कूल को फीस संरचना पारदर्शी तरीके से सार्वजनिक करनी होगी
मनमानी फीस वसूली की शिकायतों पर तत्काल सुनवाई और कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी
सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता पर फोकस
मुख्यमंत्री गुप्ता ने आगे कहा कि उनकी सरकार का लक्ष्य केवल निजी स्कूलों पर नियंत्रण नहीं, बल्कि सरकारी स्कूलों को इतना सक्षम बनाना है कि “लोग अपने बच्चों को निजी नहीं, सरकारी स्कूलों में भेजना चाहें।”
