जी20 शिखर सम्मेलन का सफल व ऐतिहासिक आयोजन करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस आयोजन को लेकर पूरी दिल्ली को खासतौर से सजाया गया है। सड़कों पर गमलों, फव्वारों के साथ सजावट की गई है। इस शिखर सम्मेलन के आयोजन को लेकर पूरा देश बेहद उत्साहित है।
वहीं दिल्ली में आयोजित होने जा रहे जी20 शिखर सम्मेलन से पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खास बदलाव कर लिया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी प्रोफाइल में करवर फोटो में बदलाव किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपने आधिकारिक हैंडल के कवर फोटो को बदलकर इस पर को नटराज की मूर्ति की तस्वीर लगाई है। बता दें कि ये नटराज की वही मूर्ति है जो जी20 के वेन्यू स्थल भारत मंडपम में स्थापित की गई है। भारत इस साल दिल्ली में शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है जो आधिकारिक तौर पर 9 सितंबर को शुरू होगा।
इस सम्मेलन में आ रहे दुनिया के कई राष्ट्राध्यक्षों की मेजबानी के लिए भारत ने विस्तृत व्यवस्था की है। भारत ने पिछले साल 1 दिसंबर को जी20 की अध्यक्षता संभाली थी। इसके बाद देश भर के 60 शहरों में जी20 से संबंधित लगभग 200 बैठकें आयोजित की गईं थीं।
जानें नटराज की मूर्ति के बारे में
पीएम मोदी के एक्स हैंडल की कवर फोटो जी20 नेताओं के लिए केंद्र सरकार द्वारा की गई कई पहलों में से एक को दर्शाती है। वहीं जिस नटराज की मूर्ति को भारत मंडपम में लगाया गया है और जिसकी फोटो पीएम मोदी ने कवर पोटो के तौर पर लगाई है वो 18 टन वजन की है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के मुताबिक नटराज की ये मूर्ति अष्टधातु यानी आठ धातुओं से निर्मित नटराज ीक सबसे ऊंची मूर्ति है। जानकारी के मुताबिक इस विशाल मूर्ति के निर्माण में आठ धातुओं का उपयोग हुआ है जिसमें तांबा, जस्ता, सीसा, टिन, चांदी, सोना, पारा और लोहा शामिल है।
गौरतलब है कि नटराज भगवान शिव को ‘नृत्य के देवता’ के प्रतीक के रूप में प्रदर्शित करने वाली तस्वीर है। भारत मंडपम के सामने ही इसे लगाया गया है। बता दें कि रात के समय में भारत मंडपम में लगी नटराज की मूर्ति बैंगनी रोशनी की पृष्ठभूमि में चमकती हुई दिखती है। इस मूर्ति को तमिलनाडु के स्वामी मलाई के मूर्तिकार राधाकृष्णन स्टापति और उनकी टीम ने बनाया है। खास बात है कि ये मूर्ति रिकॉर्ड सात महीने में तैयार हुई है। जानकारी के मुताबिक नटराज की इस प्रतिमा को खास ग्रीन कॉरिडोर से तमिलनाडु से दिल्ली लाया गया है।
इसका निर्माण खोई-मोम कास्टिंग प्रक्रिया से हुआ है। इसमें बारीक विस्तृत एकल टुकड़ा मूर्तियां बनाने के लिए किया गया है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि नटराज प्रतिमा में कोई वेल्डेड भाग नहीं हैं। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी ने कहा, जी20 शिखर सम्मेलन से पहले यह प्रतिमा लगभग 10-12 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार हुई थी।