crossorigin="anonymous"> उपराष्ट्रपति धनखड़ के इस्तीफे से मचा सियासी भूचाल, अटकलों का बाजार गर्म - Sanchar Times

उपराष्ट्रपति धनखड़ के इस्तीफे से मचा सियासी भूचाल, अटकलों का बाजार गर्म

Spread the love

ST.News Desk, New Delhi : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने देश की सियासत में हलचल मचा दी है। आधिकारिक तौर पर इस्तीफे की वजह “स्वास्थ्य कारण” बताई जा रही है, लेकिन इसके पीछे के घटनाक्रम कुछ और ही इशारा कर रहे हैं। धनखड़ ने 20 जुलाई को अपनी पत्नी के जन्मदिन पर संसद और लोकसभा टीवी के 800 से ज्यादा स्टाफ के लिए भव्य लंच पार्टी का आयोजन किया, जिसे अब राजनीतिक गलियारों में ‘फेयरवेल पार्टी’ के रूप में देखा जा रहा है।

सोमवार को संसद के मानसून सत्र के पहले दिन वे सदन में सक्रिय नजर आए—नए सांसदों को शपथ दिलाई, विपक्षी नेता खरगे को बोलने का पूरा मौका दिया, और कार्यवाही समाप्त होने के बाद भी संसद में रुके रहे। लेकिन शाम तक उनके जयपुर दौरे की सूचना सामने आई और फिर 6 बजे के आसपास यह खबर आई कि उन्होंने राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा भेज दिया है।

सूत्रों का कहना है कि सत्तारूढ़ दल की ओर से उन्हें यह संदेश मिला था कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग नोटिस के लिए आवश्यक 50 से अधिक सांसदों के हस्ताक्षर जुट चुके हैं, लेकिन सभी विपक्षी दलों से हैं। उसी के बाद उन्होंने इस्तीफा सौंप दिया।

बिहार कनेक्शन और नीतीश कुमार की चर्चा

राजनीतिक हलकों में यह अटकल भी तेज़ है कि धनखड़ के इस्तीफे से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए उपराष्ट्रपति बनने का रास्ता साफ किया जा रहा है। भाजपा बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव में अधिक सीटें जीतने की रणनीति पर काम कर रही है। नीतीश को उपराष्ट्रपति बनाना एक बड़ा राजनीतिक दांव साबित हो सकता है। भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर ने भी इस संभावना को मीडिया में हवा दी।

न्यायपालिका से तनातनी और अंदरूनी मतभेद

धनखड़ और न्यायपालिका के बीच लंबे समय से खींचतान रही है। उपराष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा एनजेएसी रद्द करने के फैसले की खुलकर आलोचना की थी। इससे सरकार को भी अप्रत्यक्ष आलोचना का सामना करना पड़ा। वहीं, राज्यसभा में ‘मीमिक्री विवाद’ और जया बच्चन से हुई तीखी नोकझोंक के दौरान भी पार्टी उनके साथ मजबूती से नहीं खड़ी दिखाई दी।

राज्यसभा में नाराजगी के संकेत

राज्यसभा में सोमवार को बीएसी (कार्य मंत्रणा समिति) की बैठक में जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू की अनुपस्थिति को भी धनखड़ के लिए सरकार की बेरुखी के तौर पर देखा जा रहा है। नड्डा द्वारा सदन में “केवल मैं तय करूंगा क्या रिकॉर्ड में जाएगा” जैसी टिप्पणी ने भी विवाद को और हवा दी।

क्या मोदी सरकार के पास नया प्लान है?

अब सबकी नजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अगले कदम पर है। क्या नीतीश कुमार उपराष्ट्रपति बनेंगे? या भाजपा कोई चौंकाने वाला चेहरा सामने लाएगी? हालांकि इस्तीफे को अभी राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृति नहीं दी गई है, और न ही कोई फेयरवेल कार्यक्रम घोषित हुआ है। लेकिन ये तय है कि धनखड़ अब दोबारा राज्यसभा की अध्यक्षता नहीं करेंगे। इस इस्तीफे के पीछे की असली वजह चाहे जो भी हो, लेकिन इतना साफ है कि यह एक साधारण घटनाक्रम नहीं, बल्कि एक रणनीतिक राजनीतिक कदम है। आने वाले दिन भारतीय राजनीति में नए समीकरणों का संकेत दे सकते हैं।


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *