crossorigin="anonymous"> मनुष्यों में भगवान के पास पहुंचने की शक्ति : देवकीनंदन ठाकुर - Sanchar Times

मनुष्यों में भगवान के पास पहुंचने की शक्ति : देवकीनंदन ठाकुर

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पलामू : श्रीमद् भागवत पुराण कथा सुनने से अभीष्ट कामना की पूर्ति होती है. मनुष्य को सद्गति मिलती है. संसार के बंधन से मुक्ति मिलती है. उक्त बातें ख्याति प्राप्त श्रीमद् भागवत कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर ने कही. वे गुरुवार को स्थानीय हाउसिंग कॉलोनी में परशुराम युवा वाहिनी के तत्वावधान में आयोजित कथा कार्यक्रम में बोल रहे थे. इसके पूर्व उषा पांडेय व गुरु पांडेय ने श्रीमद्भागवत पुराण की आरती कर कथा की शुरुआत कराई.


भागवत कथा सुनने से अभीष्ट कामना की होती है पूर्ति : देवकीनंदन

देवकीनंदन ने भागवत कथा का श्रवण कराते हुए एक प्रसंग की रोचक चर्चा की. कहा कि राधा रानी ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा कि आप उदास क्यों रहते हैं. श्री कृष्ण ने कहा कि कलियुग में मनुष्य की गति व कर्म देखकर उदास हैं. राधा रानी के पुनः पूछने पर श्री कृष्ण ने कहा कि मनुष्य में वह शक्ति है कि भागवत महापुराण की कथा सुन ले तो वह उनके पास पहुंच सकता है. उन्होंने कहा कि कलयुग में लोग माया-मोह के चक्कर में पड़ जाते हैं. यही दुख का असली कारण है. पूछा कि कोई रिश्तेदार जन्म व मरण के समय की श्वासों का मोल दे सकता है क्या. कहा कि जन्म व मरण के समय श्वास देने वाले ईश्वर का भक्त बनें. कहा कि मानव वही है, जो ईश्वर, माता-पिता व गुरुजनों के प्रति अपना समर्पण रखे. शास्त्रों के अनुसार जिएं.

गलत फ्रेंड के चक्कर में बर्बाद हो रहे बच्चे”

देवकीनंदन ने एक प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि बच्चे माता-पिता की बात नहीं मानते. गलत फ्रेंड के चक्कर में बर्बाद हो जाते हैं. ऐसे फ्रेंड उन्हें मझधार में छोड़ देते हैं. कहा कि बच्चे माता-पिता के विरुद्ध कभी नहीं जाएं. बच्चों के सबसे बड़े हितैषी मां-बाप होते हैं. श्रीमद् भागवत महापुराण के एक प्रसंग की चर्चा करते हुए देवकीनंदन ने कहा कि सुख व दुख कर्मों के आधार पर तय होते हैं. अच्छे कर्म करेंगे तो कोई दुखी नहीं कर सकता. बुरे कर्म करके सुखी दिखने वाले वास्तव में सुखी नहीं होते हैं. अंदर से वैसे व्यक्ति बड़े ही दुखी होते हैं. कहा कि मन से बड़ा शत्रु व दोस्त कोई नहीं होता. दुनिया नुकसान पहुंचाए तो भरपाई संभव है लेकिन मन रूपी शत्रु नुकसान करें तो भरपाई असंभव है. कहा कि मन को हमेशा सत्कर्मों की ओर ले जाना चाहिए. देवकीनंदन ठाकुर ने भगवान शिव द्वारा माता पार्वती को भागवत कथा सुनाए जाने के प्रसंग को विस्तार से श्रवण कराया. उन्होंने उपस्थित भक्तों को श्रीमद् भागवत कथा ध्यान से सुनने का आह्वान किया.


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