कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में दोषी ठहराए जाने के बाद आजीवन कारावास की सजा काट रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी जल्द ही जेल से रिहा हो जाएंगे। राज्य जेल प्रशासन विभाग द्वारा मंत्री और उनकी पत्नी की रिहाई के संबंध में एक आदेश जारी किया गया था। आदेश में कहा गया है कि यदि किसी अन्य मामले के लिए आवश्यक नहीं है, तो मंत्री और उनकी पत्नी को हिरासत से रिहा किया जाना चाहिए। विवरण के अनुसार, अमरमणि और उनकी पत्नी दोनों को उनकी उम्र, जेल में बिताई गई सजा की अवधि और जेल में उनके अच्छे आचरण को देखते हुए रिहा किया जाएगा।
मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की रिहाई पर रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। अदालत ने उनकी रिहाई के खिलाफ याचिका पर यूपी सरकार को भी नोटिस जारी किया। रिहाई के खिलाफ दिवंगत कवयित्री मधुमिता शुक्ला की बहन की याचिका पर कोर्ट में सुनवाई हुई थी। मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने मामले पर कहा कि मैं यूपी के राज्यपाल और यूपी के सीएम से उनकी रिहाई रोकने का अनुरोध करती हूं। आरटीआई आवेदनों में कहा गया है कि अमरमणि वास्तव में कभी जेल नहीं गए। वह कुछ भी कर सकता है…अगर उसने मेरी हत्या कर दी तो इस केस की पैरवी करने वाला कोई नहीं बचेगा?…यूपी में कैसी कानून-व्यवस्था है?
पिछले 20 साल से यूपी के गोरखपुर की जेल में बंद इस जोड़े को बांड भरने के बाद रिहा कर दिया जाएगा। कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के मामले में देहरादून के विशेष न्यायाधीश/सत्र न्यायाधीश ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जिनकी 9 मई, 2003 को लखनऊ में मृत्यु हो गई थी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अपनी जांच में अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि को दोषी करार देते हुए अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। उन पर गवाहों को डराने-धमकाने का आरोप लगा और केस देहरादून ट्रांसफर कर दिया गया। यूपी के जेल मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने कहा, “जेल से कैदियों की रिहाई जेल की नीतियों और जेल के कैदियों के आचरण पर आधारित होती है। राज्यपाल और सीएम के निर्देश के बाद ही किसी कैदी की रिहाई के आदेश दिए जाते हैं।”