अयोध्या के राम मंदिर में रामलला विराजमान हो चुके है। राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद देशभर में जश्न का माहौल बना हुआ है। हर व्यक्ति राम भक्ति में डूबा हुआ नजर आ रहा है। देश भर में दिवाली मनाई जा रही है। राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने की खुशी ना सिर्फ देशवासियों को है बल्कि विदेशों में भी है। प्रभु श्रीराम को राम मंदिर में विराजमान करने के लिए 500 वर्षों का लंबा इंतजार झेलना पड़ा है। राम मंदिर निर्माण में अयोध्या वासियों से लेकर देश और विदेश की जनता ने भी भरपूर योगदान दिया है।
देश के अलग अलग राज्यों से राम मंदिर के लिए कई सामग्रियां पहुंचाई गई है। राजस्थान के नागौर से मकराना पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। इस पत्थर से ही सिंहासन का निर्माण हुआ है। इस सिंहासन पर ही भगवान को विराजमान किया गया है। भगवान श्रीराम के सिंहासन पर सोने की परत भी चढ़ाई गई है। गर्भगृह और फर्श पर मकराना के सफेद मार्बल का उपयोग हुआ है। इस मंदिर के पिलर भी मकराना पत्थर से ही निर्मित किए गए है।
मंदिर के लिए गुजरात की ओर से 2100 किलोग्राम की अष्टधातु की घंटी भेंट की गई है। गुजरात से ही 700 किलोग्राम का रथ भी भेंट स्वरुप दिया गया है, जो कि अखिल भारतीय दरबार समाज ने दिया है। वहीं कर्नाटक के चमोर्थी बलुआ पत्थर भी उपयोग में लाए गए है, जिससे मंदिर में देवताओं की नक्काशी कर मूर्त उकेरी गई है। प्रवेश द्वार पर भी भव्य आकृतियां बनाई गई है, जिसे राजस्थान के बंसी पहाड़पुर के गुलाबी बलुआ पत्थर का उपयोग कर बनाया गया है। अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा ने नक्काशीदार लकड़ी के दरवाजे और हाथों से बनी फैब्रिक्स आई है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश से पीतल के बर्तन, पॉलिश की गई सागौन की लकड़ी खासतौर से महाराष्ट्र से भेजी गई है। मंदिर निर्माण में पांच लाख ईंटों का भी प्रयोग हुआ है जो कि गोवा से लाई गई थी।