
हैदर अली
रोहतास ब्यूरो (संचारटाइम्स.न्यूज)

यह सुनने में भले ही अजीब लगे कि बेर, जो एक सामान्य फल है, सेब जैसी महंगी फलों को टक्कर दे सकता है, लेकिन यह सच है। उन्नत किस्म की बेर की कीमत अब बाजार में बिकने वाले सेब से भी अधिक हो गई है। जिला में अब उन्नत प्रजातियों के बेर की खेती से किसान अपनी आमदनी को कई गुना बढ़ा रहे हैं।
तिलौथू प्रखंड के हुरका बाल स्थित किसान दिनेश कुशवाहा ने सात विभिन्न प्रजातियों की बेर की खेती शुरू की और अब वे लाखों रुपये कमा रहे हैं। इन प्रजातियों में कश्मीरी रेड, ताइवन ग्रीन, आस्ट्रेलियन रेड, आस्ट्रेलियन गोल्ड, मिस इंडिया और थाई एप्पल जैसी उच्च गुणवत्ता वाली बेर शामिल हैं। इस प्रकार की बेर के पौधे महज तीन से चार फीट ऊंचे होते हैं और इस पर फल पूरी तरह से गदराए हुए होते हैं।
किसान दिनेश कुशवाहा का कहना है कि उन्होंने पहले धान की खेती की थी, लेकिन इससे ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था, तो उन्होंने वैकल्पिक खेती की ओर रुख किया। बाहर से उन्नत किस्म के बेर के पौधे मंगवाकर अपने खेतों में लगाए, और अब वे अपनी मेहनत का अच्छा फल पा रहे हैं।
इन बेरों की कीमत बाजार में 80 से 100 रुपये प्रति किलो तक बिक रही है। इन फलों की विशेषता यह है कि ये कच्चे सेब जैसे दिखते हैं और स्वाद में मीठे होते हैं, जिसे लोग ‘किसान का सेब’ भी कहते हैं।
इन बेरों में विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सिडेंट्स की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बेर का सेवन सांस संबंधी समस्याओं, जलन, उल्टी, नेत्र रोग, सूजन, रक्त दोष और कब्ज जैसी बीमारियों के उपचार में मददगार साबित होता है।
दिनेश कुशवाहा की यह पहल जिले के अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणा बन गई है, और अब कई छोटे-मोटे किसान भी इस उन्नत किस्म की बेर की खेती की ओर रुख कर रहे हैं।
