
ST.News Desk : ईरान और इजरायल के बीच 12 दिनों तक चले तीव्र संघर्ष के बाद युद्धविराम तो लागू हो गया है, लेकिन इसके बाद भी ईरान के 400 किलो उच्च गुणवत्ता वाले यूरेनियम को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंताएं गहराती जा रही हैं। अमेरिकी सैटेलाइट कंपनी मैक्सार द्वारा जारी की गई तस्वीरों से यह संकेत मिला था कि फोर्डो परमाणु अड्डे से अमेरिकी हमले से पहले ही यूरेनियम और उपकरणों को हटा लिया गया था।

19 जून से ही संयंत्र से कम से कम 16 ट्रकों में सामग्री शिफ्ट की गई, जिससे यह आशंका और गहरा गई कि ईरान ने हमले की आशंका के मद्देनज़र अपने परमाणु ठिकानों को खाली कर दिया था। हालांकि युद्ध के दौरान यह स्पष्ट नहीं हो सका कि ईरान कुल कितना यूरेनियम सुरक्षित निकालने में सफल रहा।
अब अमेरिकी मीडिया में यह दावा किया जा रहा है कि ईरान ने 400 किलो संवर्धित यूरेनियम को किसी गुप्त स्थान पर छिपा दिया है — इतनी मात्रा से 10 से अधिक परमाणु बम बनाए जा सकते हैं, क्योंकि एक बम के लिए औसतन 25 से 30 किलो यूरेनियम की जरूरत होती है।
इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने ईरान से इस यूरेनियम को लौटाने की सख्त मांग की है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अमेरिका और इजरायल ने संयुक्त रूप से ईरान को यह संदेश दिया है कि उसे संवर्धित यूरेनियम सौंपना होगा।
क्या यूरेनियम नॉर्थ कोरिया पहुंच गया?
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कार्ट बोल्टन ने दावा किया है कि ईरान और उत्तर कोरिया के बीच एक खतरनाक गठजोड़ बन रहा है। उनके अनुसार, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई हर हाल में परमाणु हथियार हासिल करना चाहते हैं और इस प्रयास में किम जोंग उन उनकी मदद कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, ईरान के परमाणु स्थलों पर शांति होने के बावजूद उत्तर कोरिया के परमाणु केंद्रों में असामान्य गतिविधियां देखी गई हैं। एक आशंका यह भी है कि ईरान से गायब हुआ 400 किलो यूरेनियम नॉर्थ कोरिया भेज दिया गया है, जिससे वैश्विक सुरक्षा संकट और गहरा सकता है।
अमेरिका ने किए जबरदस्त हमले, फिर भी सवाल बरकरार
अमेरिका ने अपने सहयोगी इजरायल के साथ मिलकर ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों पर 30,000 पाउंड वजनी बंकर बस्टर बम गिराए। बावजूद इसके, अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने 400 किलो यूरेनियम के दावे को खारिज करते हुए कहा कि उनके पास इस संबंध में कोई खुफिया सूचना नहीं है।
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि ये हमले ईरान के परमाणु कार्यक्रम को स्थायी रूप से रोकने में नहीं, बल्कि केवल विलंबित करने में सक्षम रहे हैं।
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या ईरान का परमाणु खजाना वाकई किसी गुप्त ठिकाने पर है या फिर वैश्विक परमाणु संकट के दरवाजे पर खड़ा हो चुका है? अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें अब आने वाले दिनों में ईरान, उत्तर कोरिया और अमेरिका की अगली चाल पर टिकी हैं।
