crossorigin="anonymous"> भारत-पाक तनाव के बीच एयरस्पेस बंद, सिंधु जल संधि निलंबित; 1991 का हवाई क्षेत्र समझौता भी सवालों में - Sanchar Times

भारत-पाक तनाव के बीच एयरस्पेस बंद, सिंधु जल संधि निलंबित; 1991 का हवाई क्षेत्र समझौता भी सवालों में

Spread the love


22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में नागरिकों के नरसंहार के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के तहत सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है, जो दोनों देशों के बीच दशकों पुराना जल-बंटवारा समझौता था। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौतों को स्थगित करने की घोषणा की है, जिसमें शिमला समझौता भी शामिल है।

स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दोनों देशों ने अब एक-दूसरे के एयरस्पेस (हवाई क्षेत्र) को भी बंद कर दिया है। यह फैसला 1991 में हुए हवाई क्षेत्र उल्लंघन की रोकथाम पर समझौते के भविष्य को भी अनिश्चित बना रहा है।

क्या है 1991 का हवाई क्षेत्र समझौता?
6 अप्रैल 1991 को नई दिल्ली में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित यह समझौता सीमा पर हवाई क्षेत्र के उल्लंघन को रोकने और आकस्मिक संघर्ष की संभावना को कम करने के लिए किया गया था। यह समझौता 19 अगस्त 1992 से लागू हुआ और इसमें कुल 9 अनुच्छेद शामिल हैं।

प्रमुख बिंदु
अनुच्छेद 1 और 2: दोनों देश सुनिश्चित करेंगे कि उनके सैन्य विमान एक-दूसरे के हवाई क्षेत्र में प्रवेश न करें, विशेष रूप से सीमा से 10 किमी के दायरे में।

अनुच्छेद 3 और 4: विशेष उद्देश्यों (जैसे हवाई सर्वेक्षण या दया मिशन) के लिए पूर्व सूचना देना अनिवार्य है।

अनुच्छेद 5: आपातकालीन स्थिति में दोनों देशों के वायुसेना अधिकारी आपसी संपर्क में रहें।

अनुच्छेद 6: सीमावर्ती एयरबेस से उड़ान भरने वाले सैन्य विमानों को सीमा से 5 किमी की दूरी बनाए रखनी होगी।

अनुच्छेद 8: यह समझौता पहले के सभी हवाई समझौतों को निरस्त करता है।

वर्तमान संदर्भ में क्या बदल रहा है?
अब जब दोनों देशों ने एयरस्पेस बंद कर दिए हैं, तो यह 1991 के समझौते के मूल उद्देश्यों के प्रतिकूल माना जा रहा है। हालांकि आधिकारिक रूप से अभी तक इस समझौते को निरस्त करने की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन हालात इसकी प्रासंगिकता और प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि तनाव इसी तरह बढ़ता रहा, तो यह सैन्य और कूटनीतिक स्थिरता को और अधिक प्रभावित कर सकता है। वहीं, समझौतों का स्थगन और हवाई क्षेत्र की पाबंदी क्षेत्रीय व्यापार, उड्डयन और आपातकालीन सहायता सेवाओं को भी बाधित कर सकता है।


Spread the love