
ST.News Desk : हममें से बहुतों ने ये बात सुनी है, “अगर कोई छोड़कर जाना चाहता है, तो उसे जाने दो।” पर क्या यह वाकई इतना आसान होता है? जब कोई रिश्ता टूटने की कगार पर हो, तो दिल सवाल करता है, “क्या मैं एक आख़िरी कोशिश करूं?”
और दिमाग़ कहता है, “अब और नहीं, बस करो।” किसी ऐसे इंसान को जाने देना, जिससे आपने बेइंतिहा मोहब्बत की हो, एक ऐसा अनुभव है जिसमें यादें, वादे और सपने सब बिखर जाते हैं। लेकिन क्या किसी ऐसे रिश्ते को बचाना सही है, जिसमें सिर्फ आप ही लड़ रहे हों?

इसी उलझन को सुलझाने के लिए क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. आरिया कैंपबेल-दानेश ने एक इंस्टाग्राम वीडियो में दो अहम संकेत बताए हैं — जो ये समझने में मदद कर सकते हैं कि अब दरवाज़ा खोलने का वक़्त आ गया है।
संकेत 1: जब आपका साथी रिश्ते की ज़िम्मेदारी से पीछे हटने लगे
डॉ. आरिया कहते हैं, एक स्वस्थ रिश्ते में दोनों की भागीदारी जरूरी होती है। अगर आपका साथी अब आत्ममंथन करने से बच रहा है, संघर्षों में अपनी भूमिका नहीं मान रहा और आपके साथ आगे नहीं बढ़ना चाहता —
तो यह साफ़ संकेत है कि रिश्ता एकतरफा हो गया है। ऐसे रिश्ते को बचाने की कोशिश करना, खुद को और ज़्यादा दर्द देना है।
संकेत 2: जब दोष देने की भाषा अपनाई जाने लगे
अगर बातचीत “हम मिलकर इसे कैसे ठीक करें?” से बदलकर “तुम ही समस्या हो” बन जाए, तो यह दिखाता है कि अब आप दोनों एक टीम नहीं रह गए। जब आपका साथी बात समझने की बजाय आपको जज करने लगे, समाधान की जगह सिर्फ आरोप लगाने लगे और नज़दीक आने की बजाय दूरी बढ़ाने लगे तो यह इशारा है कि वो इस रिश्ते से बाहर निकलने का रास्ता तलाश रहा है।
कभी-कभी किसी को जाने देना, हार मानना नहीं होता —
बल्कि अपने लिए जीत छीन लेना होता है।
जब कोई रिश्ता आपकी मानसिक शांति और आत्मसम्मान पर असर डालने लगे,
तो खुद से यह पूछना ज़रूरी है:
“क्या इसे थामे रहना मुझे अंदर से तोड़ तो नहीं रहा?”
