crossorigin="anonymous"> "ऑपरेशन सिंदूर सरकार की खुफिया विफलता का प्रतीक" - Sanchar Times

“ऑपरेशन सिंदूर सरकार की खुफिया विफलता का प्रतीक”

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लोकसभा में बोले अखिलेश यादव, पूछा- सुरक्षा चूक की जिम्मेदारी कौन लेगा?

ST.News Desk, New Delhi : लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चल रही चर्चा के दौरान सपा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की और सुरक्षा चूक, विदेश नीति और खुफिया व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा कि, “हमें तो उम्मीद थी कि सरकार खुद युद्धविराम की घोषणा करेगी, लेकिन उन्होंने अपने ‘दोस्त’ से ही ऐसा करवा दिया।” अखिलेश यादव ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद आतंकवाद खत्म होने के दावों को झूठा करार देते हुए पूछा कि, “जब सरकार ने कहा था कि 370 के हटने के बाद कोई आतंकी हमला नहीं होगा, तो अब इन घटनाओं की जिम्मेदारी कौन लेगा? पहलगाम की घटना ने साबित कर दिया है कि लापरवाही की कीमत आम लोगों की जान से चुकानी पड़ती है।”

उन्होंने संसद में सवाल किया कि देश का कुल क्षेत्रफल क्या है, और इस पर सरकार की स्पष्टता पर भी कटाक्ष किया। साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि, “ऑपरेशन महादेव की मुठभेड़ उसी दिन क्यों हुई जब संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा हो रही थी? क्या यह सिर्फ एक संयोग है?” भाजपा पर व्यंग्य करते हुए अखिलेश ने कहा, “मैं दुनिया को मनाने में लगा हूं, मेरा घर मुझसे रूठा जा रहा है।” यह टिप्पणी उन्होंने भाजपा की कथित “विदेश नीति की विफलताओं” और आंतरिक सुरक्षा की अनदेखी को लेकर की।

अखिलेश यादव ने चीन को भारत के लिए बड़ा खतरा बताया और कहा, “चीन एक ऐसा राक्षस बन चुका है, जो हमारी ज़मीन और बाज़ार को धीरे-धीरे हड़प रहा है, और सरकार चुपचाप देख रही है। भारत की विदेश नीति पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है।” उन्होंने कहा कि पहलगाम हमला एक खुफिया चूक का परिणाम था, और इसे रोका जा सकता था। “इस दुखद घटना में कई अनमोल जानें गईं, जो नहीं जानी चाहिए थीं। सरकार को जवाब देना होगा कि खुफिया और रणनीतिक विफलताओं की जिम्मेदारी आखिर लेगा कौन?” सपा सांसद की यह तीखी टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब सरकार ऑपरेशन सिंदूर को आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश कर रही है, लेकिन विपक्ष इसे पूर्व चेतावनी और तैयारी की विफलता के रूप में देख रहा है। संसद में इस बहस के बीच सरकार की रणनीति और विपक्ष की आलोचना के बीच सुरक्षा से जुड़ी जिम्मेदारी और जवाबदेही का सवाल केंद्र में आ गया है।


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