भारत में चुनाव खत्म हो गए लेकिन इस चुनाव पर पूरी दुनिया की नजर है। अमेरिका, रूस, चीन सभी देश नतीजों का इंतजार कर रहे हैं। यहां तक की जिस चीन ने साल 2014 में मोदी का मजाक उड़ाया था वो कह रहा है कि पीएम मोदी ही एक बार फिर से भारत की सत्ता संभालेंगे। एगेजिट पोल में पीएम मोदी की बड़ी जीत का अनुमान है तो पाकिस्तान और चीन परेशान है। पाकिस्तान में जहां एक तरफ घबराहट है तो वहीं चीन के सुर भी अब बदले नजर आ रहे हैं। मोदी के हैट्रिक के अनुमान पर अब चीन ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है और भारत के खिलाफ चालबाजी करने वाला चीन अब दोस्ती की बातें करने लगा है। एग्जिट पोल के नतीजों पर चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख लिखा है। एग्जिट पोल से पता चलता है कि भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय में लगातार तीसरी बार जीतने की संभावना है, चीनी विशेषज्ञों ने कहा कि मोदी की समग्र घरेलू और विदेशी नीतियों में निरंतरता बनी रहेगी। उनसे देश की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों में बने रहने की उम्मीद है। विश्लेषकों ने द्विपक्षीय संबंधों को स्वस्थ और स्थिर विकास की राह पर वापस लाने के लिए मतभेदों को दूर करने के लिए खुले संचार को बनाए रखने के लिए चीन के साथ सहयोग करने के महत्व पर जोर दिया।
एग्जिट पोल में भारत की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की बड़ी जीत की भविष्यवाणी की गई है। हालाँकि भारतीय समाचार आउटलेट ने आगाह किया कि एग्ज़िट पोल “हमेशा सटीक नहीं होते। लेकिन उसने कहा कि 73 वर्षीय मोदी और उनकी पार्टी, भाजपा को लगातार तीसरी बार सत्ता बरकरार रखने की उम्मीद है। देश में वास्तविक चुनावी परिदृश्य मंगलवार को स्पष्ट हो जाएगा जब भारत निर्वाचन आयोग आधिकारिक चुनाव परिणामों की घोषणा करने वाला है। अनुसंधान निदेशक कियान फेंग ने कहा कि मोदी भारत के लिए निर्धारित घरेलू और विदेश नीति के उद्देश्यों को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे, जिसमें देश को कुछ वर्षों के भीतर अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आगे बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।
चीन के बड़े थिंक टैंक सेंटर फॉर चाइना एंड ग्लोबलाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार चीन इस बात को लेकर टेंशन में है कि अब मोदी राज में भारत दक्षिण चीन सागर के देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेगा। चीन को इस बात की भी टेंशन है कि भारत के इस कदम से चीन को रणनीतिक हितों का भी नुकसान होगा।