crossorigin="anonymous"> पश्चिम बंगाल सरकार ने सियालदह अदालत के फैसले के खिलाफ कलकत्ता उच्च न्यायालय में अपील की - Sanchar Times

पश्चिम बंगाल सरकार ने सियालदह अदालत के फैसले के खिलाफ कलकत्ता उच्च न्यायालय में अपील की

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न्यायालय से संजय रॉय को मौत की सजा देने की मांग करते हुए खंडपीठ न्यायमूर्ति देबांगशु बसाक का रुख किया है

पश्चिम बंगाल के सियालदह क्षेत्र में 9 अगस्त 2024 को एक गंभीर बलात्कार और हत्या मामले में दोषी ठहराए गए संजय रॉय को सियालदह अदालत द्वारा सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ राज्य सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने न्यायालय से संजय रॉय को मौत की सजा देने की मांग करते हुए खंडपीठ न्यायमूर्ति देबांगशु बसाक का रुख किया है। उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई के लिए अनुमति दे दी है और मामले पर अगली कार्रवाई शुरू कर दी है।

सियालदह अदालत का फैसला: आजीवन कारावास और जुर्माना

सियालदह में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिर्बान दास की अदालत ने शनिवार को संजय रॉय को दोषी ठहराया था। अदालत ने पाया कि रॉय ने 9 अगस्त 2024 को एक अस्पताल में एक स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार किया और हत्या कर दी, जिसके बाद पूरे देश में विरोध और आक्रोश की लहर दौड़ गई थी। अदालत ने हालांकि संजय रॉय को मौत की सजा नहीं दी, क्योंकि न्यायाधीश ने इसे ‘दुलर्भ से दुलर्भतम’ अपराध की श्रेणी में नहीं रखा।

अदालत ने रॉय को भारतीय दंड संहिता की धारा 64 (बलात्कार), धारा 66 (मौत की सजा) और धारा 103 (1) (हत्या) के तहत दोषी ठहराया। अदालत ने रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया। यदि रॉय जुर्माना अदा नहीं करते हैं, तो उन्हें पांच महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

राज्य सरकार का विरोध और अपील

पश्चिम बंगाल सरकार ने सियालदह अदालत के फैसले को असंतोषजनक मानते हुए उच्च न्यायालय में अपील की है। महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने उच्च न्यायालय में कहा कि यह मामला इतने गंभीर अपराध का है कि इसे मौत की सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने खंडपीठ न्यायमूर्ति देबांगशु बसाक से अपील की कि इस मामले में सजा को अधिकतम सजा के रूप में परिवर्तित किया जाए।

राज्य सरकार का कहना है कि इस प्रकार के जघन्य अपराध में दोषी को अधिकतम दंड दिया जाना चाहिए, ताकि समाज में ऐसे अपराधों के प्रति कड़ा संदेश जाए। सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि मृतक के परिवार के साथ न्याय किया जाना चाहिए और दोषी को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

देशभर में हुआ था विरोध और आक्रोश

इस मामले को लेकर पूरे देश में गुस्सा और विरोध प्रदर्शन हुआ था। इस अपराध ने न केवल पश्चिम बंगाल, बल्कि पूरे भारत में महिला सुरक्षा और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों के खिलाफ आक्रोश पैदा किया था। न्यायालय में मामले की सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि यह अपराध समाज में महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा उत्पन्न करता है, और इस पर कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है।

संजय रॉय की गिरफ्तारी और इस केस में न्याय की उम्मीदें बनी हुई हैं। उच्च न्यायालय अब इस मामले पर सुनवाई करेगा और देखा जाएगा कि क्या सियालदह अदालत के फैसले को बदलकर दोषी को मौत की सजा दी जाती है या नहीं।


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