कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित एक पद्धति ने चंडीगढ़ के एक अस्पताल में रेडियोलॉजी विशेषज्ञों की तरह ही पित्ताशय (गॉल ब्लैडर) के कैंसर का सटीकता से पता लगाया है। ‘लांसेट रिजनल हेल्थ साउथ ईस्ट एशिया पत्रिका’ में प्रकाशित एक अध्ययन में यह जानकारी दी गई है।
पित्ताशय के कैंसर का आसानी से पता नहीं चल पाता है और इसके मरीजों की मृत्यु दर अधिक होती है। शुरूआत में ही इस रोग का पता चल पाना चुनौतीपूर्ण है। चंडीगढ़ स्थित स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पीजीआईएमईआर) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली की एक टीम का लक्ष्य अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल कर पित्ताशय के कैंसर का पता लगाने के लिए एक ‘डीप लर्निंग’ मॉडल विकसित करना और उसे वैधता प्रदान करना था। डीप लर्निंग कृत्रिम बुद्धिमत्ता की ऐसी पद्धति है, जो कंप्यूटर को वह करना सिखाती है, जो मनुष्यों को स्वाभाविक रूप से आता है। अध्ययन में, अगस्त 2019 और जून 2021 के बीच, पीजीआईएमईआर में पित्ताशय के घावों वाले मरीजों से एकत्र किये गये पेट के अल्ट्रासाउंड के डेटा का उपयोग किया गया।