देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को जी20 शिखर सम्मेलन 2023 का आयोजन होने जा रहा है। यह भारत के लिए बहुत बड़ा मौका है। जी20 समूह में शामिल देशों के राष्ट्राध्यक्ष, यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि और नौ मेहमान देशों के प्रतिनिधि सम्मेलन में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंचने लगे हैं।
दिल्ली एनसीआर को दुल्हन की तरह सजाया गया है। एयरपोर्ट से लेकर होटल और कार्यक्रम स्थल भारत मंडपम तक हर रास्ते, चौराहों को G20 की थीम में रंग दिया गया है। इस बीच सवाल ये है कि जी20 की तैयारियों के लिए कितना खर्च किया गया है? इस खर्चे का वहन किसने किया है? आखिर इतना खर्चा करने के पीछे उद्देश्य क्या होता है? आइये जानते हैं…
यह पहली बार है जब भारत विश्व नेताओं के इतने शक्तिशाली समूह की मेजबानी कर रहा है। भारतीय अध्यक्षता के तहत इसकी थीम वसुधैव कुटुंबकम रखी गई है, जिसका अर्थ है विश्व एक परिवार है। आयोजन के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को दुल्हन की तरह सजाया गया है।
दिल्ली की तमाम सड़कों और चौराहों को फूलों और फव्वारों से सजाया गया है, जबकि सरकारी भवनों और फुटपाथों को नए सिरे से पेंट किया गया है। सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। एंटी-ड्रोन सिस्टम और 1,30,000 पुलिस और अर्ध-सैन्य कर्मियों को शहर को अचूक सुरक्षा प्रदान करने के लिए तैनात किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, जी20 शिखर सम्मेलन के लिए राजधानी को सजाने में 4254.75 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। खर्चों को मोटे तौर पर लगभग 12 श्रेणियों में बांटा गया था। जी20 की तैयारियों के सबसे अहम घटकों में से सुरक्षा थी। इसके अलावा सड़कों, फुटपाथों, स्ट्रीट साइनेज और लाइटिंग व्यवस्था के रखरखाव में भी किए गए खर्च भी शामिल हैं।
बागवानी सुधार से लेकर जी20 ब्रांडिंग तक के काम पर लगभग 75 लाख रुपये से 3,500 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च किया गया है। ये खर्चे रक्षा मंत्रालय के तहत विभागों से लेकर एनडीएमसी और एमसीडी जैसी नौ सरकारी एजेंसियों द्वारा किए गए हैं।
भारत व्यापार संवर्धन संगठन (आईटीपीओ), सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और सैन्य इंजीनियर सेवा, दिल्ली पुलिस, एनडीएमसी और डीडीए जैसी एजेंसियों ने कुल खर्चे का 98 फीसदी व्यय किया। अधिकांश परिसंपत्ति निर्माण और रखरखाव एनडीएमसी और लुटियंस जोन में आने वाले क्षेत्रों में किया गया था लिहाजा केंद्र सरकार के विभागों ने अधिकांश खर्च किए हैं। आईटीपीओ द्वारा किया गया व्यय केवल शिखर सम्मेलन के लिए नहीं बल्कि भारत मंडपम जैसी दीर्घकालिक परिसंपत्तियों के निर्माण से भी जुड़ा है।
केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी द्वारा साझा किए एक दस्तावेज के अनुसार, आईटीपीओ ने कुल बिल का लगभग ₹3,600 करोड़ (87 फीसदी से अधिक) भुगतान किया। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने 340 करोड़ रुपये और एनडीएमसी ने 60 करोड़ रुपये का भुगतान किया। वहीं, दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (PWD) ने लगभग 45 करोड़ रुपये, केंद्रीय सड़क भूतल परिवहन मंत्रालय ने 26 करोड़ रुपये, दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने 18 करोड़ रुपये, दिल्ली सरकार के वन विभाग ने 16 करोड़ रुपये और एमसीडी ने पांच करोड़ रुपये खर्च किए।
इससे पहले केंद्रीय बजट 2023-24 में जी20 की अध्यक्षता के लिए 990 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि वैश्विक चुनौतियों के मौजूदा समय में जी20 की अध्यक्षता ने भारत को विश्व आर्थिक व्यवस्था में अपनी भूमिका को मजबूत करने का अनूठा अवसर प्रदान किया है। वित्त मंत्री ने कहा था कि ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की थीम के साथ भारत वैश्विक चुनौतियों से निपटने के साथ-साथ सतत आर्थिक विकास को संभव करने के लिए एक महत्वाकांक्षी जन-आधारित एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है।
दुनिया के 19 प्रमुख देशों और यूरोपीय संघ के प्रभावशाली समूह जी20 की दो दिवसीय बैठक शनिवार से शुरू हो रही है। जी20 देशों का 18वां शिखर सम्मेलन राजधानी दिल्ली में आयोजित होना है। इसमें 19 देशों के राष्ट्र अध्यक्ष और सरकार के प्रमुख भाग लेंगे। इसके अलावा यूरोपीय संघ भी इस सम्मेलन में शिरकत करेगा। जी20 के सदस्य देशों के अलावा नौ देशों के प्रमुख, बतौर अतिथि देश बैठक में हिस्सा लेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय संगठन (यूएन, आईएमएफ, डब्ल्यूबी, डब्ल्यूएचओ, डब्ल्यूटीओ, आईएलओ, एफएसबी और ओईसीडी) और क्षेत्रीय संगठन (एयू, एयूडीए-एनईपीएडी और आसियान) के अतिरिक्त G20 के अध्यक्ष के रूप में भारत द्वारा आईएसए, सीडीआरआई और एडीबी को अतिथि अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के रूप में आमंत्रित किया गया है।