डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में बौद्धिक संपदा अधिकार पर दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित
प्रदीप कुमार सिंह
लखनऊ ब्यूरो (sanchartimes.news)
डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ में शनिवार को दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसका विषय था: “बौद्धिक संपदा अधिकार पर व्यापक कार्यशाला: प्रारूपण, फाइलिंग और प्रबंधन”। इस कार्यशाला का आयोजन विश्वविद्यालय के डी.पी.आई.आई.टी आई.पी.आर चेयर द्वारा किया गया था, जिसमें बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की गई।
कार्यशाला में कई प्रतिष्ठित वक्ता शामिल हुए, जिनमें डॉ. इंदिरा द्विवेदी, मुख्य वैज्ञानिक, सी.एस.आई.आर. लखनऊ, डॉ. विवेक श्रीवास्तव, वरिष्ठ वैज्ञानिक, सी.एस.आई.आर., और आईपीआर चेयर के अध्यक्ष प्रो. डॉ. मनीष सिंह प्रमुख थे। इसके अलावा, डॉ. विकास भाटी, निदेशक, आई.पी. प्रेसिस भी कार्यशाला में उपस्थित रहे।
कार्यशाला का उद्देश्य
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में आईपीआर चेयर के अध्यक्ष प्रो. डॉ. मनीष सिंह ने सभी का स्वागत किया और बताया कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य प्रतिभागियों का ज्ञानवर्धन करना और आईपीआर के महत्व से उन्हें अवगत कराना था। उन्होंने कहा, “आईपीआर एक कला है, जिसे निरंतर अभ्यास से निखारा जा सकता है।” इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि कई बार सरकारी संस्थाएं भी आईपीआर के महत्व से अनजान होती हैं, इसलिए यह जानकारी होना बेहद जरूरी है।
कुलपति प्रो. डॉ. अमरपाल सिंह का संबोधन
राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. अमरपाल सिंह ने इस कार्यशाला के विषय की सराहना की और बताया कि अपनी संपत्ति का संरक्षण करना उतना ही महत्वपूर्ण होता है जितना उसे बनाना। उन्होंने जेरेमी बेंथम के उद्धरण का उल्लेख करते हुए कहा, “कानून और संपत्ति जन्म से लेकर मरण तक साथ होते हैं।” उन्होंने आईपीआर को एक उभरती हुई महत्वपूर्ण संपत्ति के रूप में देखा और कहा कि यह कार्यशाला इस क्षेत्र में लोगों को जागरूक करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
तकनीकी सत्रों में विचार-विमर्श
कार्यशाला के दौरान चार तकनीकी सत्रों में बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। पहले सत्र में डॉ. विवेक श्रीवास्तव ने “प्रायर आर्ट” के महत्व को बताया और समझाया कि कैसे पेटेंट के लिए प्रायर आर्ट के बारे में शोध किया जाता है। उन्होंने पेटेंट के लिए आवश्यक शर्तों के बारे में भी जानकारी दी और उदाहरण के माध्यम से यह बताया कि क्या बदलाव पेटेंट योग्य होते हैं।
पेटेंट ड्राफ्टिंग और फाइलिंग प्रक्रिया पर विस्तृत चर्चा
दूसरे सत्र में प्रो. डॉ. मनीष सिंह ने पेटेंट ड्राफ्टिंग और फाइलिंग की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि भारत में पेटेंट फाइलिंग में इस वर्ष 15.7% की वृद्धि हुई है और भारत अब पेटेंट फाइलिंग में विश्व में छठे स्थान पर है। प्रो. सिंह ने इस प्रक्रिया में आवश्यक दस्तावेज और क्लेम्स के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
पेटेंट फाइलिंग और प्रॉसीक्यूशन पर चर्चा
तीसरे सत्र में डॉ. इंदिरा द्विवेदी ने पेटेंट फाइलिंग और प्रॉसीक्यूशन की प्रक्रिया पर चर्चा की। उन्होंने समकालीन उदाहरण, जैसे कोविड-19 उपचार में इस्तेमाल होने वाले डीऑक्सी ग्लूकोस के पेटेंट के बारे में विस्तार से बताया।
कार्यशाला में प्रो. मनीष सिंह, डॉ. विकास भाटी, डॉ. अंकिता यादव, डॉ. मलय पांडेय, डॉ. मनीष बाजपाई, ऋषी शुक्ला, हिमांशी तिवारी और अभिनव शर्मा समेत अन्य लोग भी उपस्थित थे।
इस कार्यशाला ने प्रतिभागियों को बौद्धिक संपदा अधिकार के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी और उन्हें अपने आविष्कारों और रचनाओं के अधिकारों की रक्षा करने में सक्षम बनाने का प्रयास किया।