crossorigin="anonymous"> बिहार की राजनीति में नया मोड़ : नीतीश और तेजस्वी यादव की मुलाकात, क्या है इसका मायने? - Sanchar Times

बिहार की राजनीति में नया मोड़ : नीतीश और तेजस्वी यादव की मुलाकात, क्या है इसका मायने?

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कहा जा रहा है कि यह मुलाकात बिहार में नई सूचना आयुक्त की नियुक्ति के संबंध में राय मशवरा करने के लिए हुई है

ST.News Desk : बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है, जब पूर्व उपमुख्यमंत्री और वर्तमान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने 8 महीने के अंतराल के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पटना सचिवालय में मुलाकात की। यह मुलाकात बंद कमरे में हुई, और इसके बाद राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।

जदयू के वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी ने इस मुलाकात को सामान्य करार दिया

इस मुलाकात के साथ ही एक और विवाद जुड़ा है, जो जदयू के मुख्य प्रवक्ता कैसे त्यागी के इस्तीफे को लेकर है। कहा जा रहा है कि यह मुलाकात बिहार में नई सूचना आयुक्त की नियुक्ति के संबंध में राय मशवरा करने के लिए हुई है। जदयू के वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी ने इस मुलाकात को सामान्य करार दिया और कहा कि नेता प्रतिपक्ष को मुख्यमंत्री से मिलते रहना चाहिए।

तेजस्वी यादव ने इस मुलाकात के संदर्भ में बताया कि उन्होंने नवीं अनुसूची के मुद्दे पर बातचीत की है। जब उनसे नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का कहना था कि मामला कोर्ट में है। यह मुद्दा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि पटना उच्च न्यायालय द्वारा संशोधित आरक्षण कानून को खारिज किए जाने के बाद यह अब अस्तित्व में नहीं है।

विजय कुमार चौधरी ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकार पहले ही उच्चतम न्यायालय में अपील कर चुकी है। उन्होंने यह भी आश्चर्य जताया कि तेजस्वी यादव ने एक सितंबर को धरना देकर क्या हासिल करने की कोशिश की।

इस बीच, चुनावी खर्च के मुद्दे पर भी चर्चाएं जारी हैं। कांग्रेस ने चुनाव आयोग के समक्ष अपने आंशिक चुनावी खर्च का विवरण पेश किया है, जिसमें पार्टी ने विभिन्न उम्मीदवारों को भारी रकम वितरित की थी। उदाहरण के लिए, कांग्रेस ने अमेठी से पार्टी के उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा को 70 लाख रुपए दिए थे। वहीं, अरुणाचल प्रदेश और तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के लिए भी पर्याप्त खर्च किए गए थे।

हालांकि, भाजपा ने अभी तक अपने चुनावी खर्च का आंशिक विवरण चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया है, जो कि अभी तक आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है। यह मुद्दा भी आगामी चुनावी विश्लेषण में महत्वपूर्ण रहेगा, क्योंकि लगभग दो दर्जन राजनीतिक दलों ने अपने आंशिक चुनाव व्यय विवरण दाखिल किए हैं, जबकि सात ने पूर्ण विवरण प्रस्तुत किए हैं।


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