crossorigin="anonymous"> दिल्ली में क्लाउड सीडिंग का सफल परीक्षण, मेरठ के लिए रवाना हुआ विमान, जल्द ही हो सकती है कृत्रिम वर्षा - Sanchar Times

दिल्ली में क्लाउड सीडिंग का सफल परीक्षण, मेरठ के लिए रवाना हुआ विमान, जल्द ही हो सकती है कृत्रिम वर्षा

Spread the love

ST.News Desk : दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को कम करने के उद्देश्य से किए जा रहे क्लाउड सीडिंग प्रयोग का पहला चरण सफल रहा है। परीक्षण के बाद विमान अब मेरठ के लिए रवाना हो गया है। अधिकारियों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में आज शाम तक कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) होने की संभावना है। साथ ही, संभावित दूसरे परीक्षण पर भी चर्चा जारी है।

क्या है क्लाउड सीडिंग?

क्लाउड सीडिंग एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसमें नमी से भरे बादलों में सिल्वर आयोडाइड या सोडियम क्लोराइड जैसे यौगिकों का छिड़काव किया जाता है। ये कण बादलों में संघनन (condensation) को बढ़ावा देते हैं, जिससे कृत्रिम रूप से वर्षा होती है।

पिछले सप्ताह हुआ था ट्रायल फ्लाइट

पिछले हफ्ते बुराड़ी क्षेत्र के ऊपर सरकार ने परीक्षण उड़ान भरी थी। इस दौरान, विमान से थोड़ी मात्रा में सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड छोड़े गए थे।
हालाँकि, उस समय वायुमंडलीय नमी 20% से भी कम थी, जबकि सफल बादल बीजारोपण के लिए कम से कम 50% नमी की आवश्यकता होती है। परिणामस्वरूप, उस परीक्षण के दौरान बारिश नहीं हो सकी थी।

आज शाम हो सकता है दूसरा परीक्षण

ताज़ा रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली के कुछ हिस्सों में दूसरा क्लाउड सीडिंग परीक्षण आज शाम 5 बजे किए जाने की संभावना है। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि शाम 7 बजे तक कुछ क्षेत्रों में कृत्रिम वर्षा हो सकती है, जिससे राजधानी के वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में सुधार आने की उम्मीद है।

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की प्रतिक्रिया

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने क्लाउड सीडिंग प्रयोग को लेकर कहा, “हम कृत्रिम वर्षा के मुद्दे पर लगातार चर्चा कर रहे हैं, क्योंकि दिल्ली के प्रदूषण को कम करने के लिए हमने अनेक कदम उठाए हैं। यह प्रयोग देखने के लिए है कि क्या क्लाउड सीडिंग दिल्ली की प्रदूषण समस्या का समाधान बन सकती है। अगर यह सफल रहा, तो दिल्लीवासियों के लिए यह एक बड़ा राहत भरा कदम होगा। यह दिल्ली में पहली बार हो रहा है, इसलिए हम सभी आशान्वित हैं कि इसका सकारात्मक परिणाम सामने आए।”

प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में नया प्रयोग

क्लाउड सीडिंग तकनीक का इस्तेमाल अब तक भारत के कुछ हिस्सों — जैसे महाराष्ट्र, कर्नाटक और राजस्थान — में किया जा चुका है, लेकिन दिल्ली में यह पहली बार बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह प्रयोग सफल रहा, तो इसे दिल्ली-एनसीआर के अन्य क्षेत्रों में भी लागू किया जा सकता है।


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *